देश की आर्थिक नगरी मुंबई में भीड़-भाड़ इतनी देखने को मिलती है, कि आप न ध्यान रखें तो रास्ता जरूर भूल जाएंगे। वहीं बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इस वजह अनाधिकृत रेहड़ी और फेरी वाले हैं। न्यायमूर्ति एम एस सोनक और न्यायमूर्ति कमल खता की खंडपीठ ने कहा कि उनकी चिंता यह है कि किसी को भी परेशानी नहीं होनी चाहिए।
अपनी टिप्पणी में अदालत ने कहा कि, किसी को भी परेशानी न हो… जनता को परेशानी न हो… दुकान मालिकों को परेशानी न हो… कानूनी और वैध लाइसेंस वाले फेरीवालों को भी परेशानी न हो। बता दें कि पिछले साल, उच्च न्यायालय ने शहर में अवैध और अनधिकृत फेरीवालों और विक्रेताओं की समस्या का खुद संज्ञान लिया था।
महाराष्ट्र सरकार और बीएमसी ने पेश किया हलफनामा
वहीं इस मामले में बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) और महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को अपने हलफनामे पेश किए, जिसमें उन्होंने अदालत को अनधिकृत फेरीवालों और विक्रेताओं के खिलाफ उठाए गए कदमों के बारे में बताया और यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे समस्या को फिर से न होने दें, क्या करने का प्रस्ताव रखते हैं।
बीएमसी के वकील अनिल सिंह ने कहा कि अदालत के पहले के निर्देशों के अनुसार, शहर में 20 क्षेत्रों की पहचान की गई थी और यह सुनिश्चित करने के लिए नियमित निगरानी रखी गई थी कि फेरीवाले बिना अनुमति के अपनी दुकानें न लगाएं।
लाइसेंस वालों को भी किया जाता है परेशान- हॉकर्स यूनियन
इस पर अदालत ने कहा कि समय और जगह के प्रबंधन से मदद मिलेगी, पीठ ने आगे कहा कि, ये समस्या बहुत बड़ी है। इसलिए, कुछ सक्रिय उपाय किए जाने चाहिए। वहीं हॉकर्स यूनियन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गायत्री सिंह ने अदालत को बताया कि वैध लाइसेंस रखने वाले फेरीवालों और विक्रेताओं को भी अधिकारियों की तरफ से जबरन हटा दिया जाता है।
जिनके पास लाइसेंस है उनको सुरक्षा दी जाए- हाईकोर्ट
इस पर, अदालत ने कहा, हम समझते हैं कि आप (वैध लाइसेंस रखने वाले फेरीवालों) की अपनी कठिनाइयां हैं। जिनके पास अनुमति है, उन्हें पूरी सुरक्षा दी जानी चाहिए। जिनके पास अनुमति नहीं है, वे बाकी सभी पर हावी हो जाते हैं। पीठ ने यूनियन को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को तय की।
रेलवे स्टेशन के आसपास 150 मी. एरिया प्रतिबंधित
जबकि बीएमसी ने अपने हलफनामे में कहा कि सभी वार्ड में हर दिन जांच की जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी फेरीवाला अपेक्षित अनुमति के बिना स्टॉल न लगाए। इसमें कहा गया है कि उपनगरीय रेलवे स्टेशनों के आसपास 150 मीटर के क्षेत्र को फेरीवालों से मुक्त रखा गया है और कुछ जगहों पर फेरीवालों के लिए क्षेत्र निर्धारित किए गए हैं।