मंत्री सुधांगशु दास के विवादित सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर कांग्रेस ने बुधवार को त्रिपुरा विधानसभा में प्रदर्शन किया। जिसके बाद विधानसभा में हंगामा शुरू हो गया। कांग्रेस के विधायकों ने सदन के बीचोंबीच आकर प्रदर्शन किया और दास की ओर से पार्टी को ‘हिंदू विरोधी’ बताए जाने के बाद वॉकआउट किया।
दास ने एक सितंबर को फेसबुक पोस्ट में लिखा,”मेरे विचार में उन लोगों को हिंदू देवी-देवताओं की पूजा करने का कोई अधिकार नहीं है, जो अपने मंदिरों और देवताओं की रक्षा नहीं कर सकते। वे लोग पूजा या प्रार्थना आयोजित करने के योग्य नहीं हैं।” हालांकि, बाद में उन्होंने इस फेसबुक पोस्ट हटा दिया।
हालांकि, दास ने इस बयान के लिए कोई संदर्भ नहीं दिया। लेकिन यह पोस्ट उस समय की गई थी, जब पश्चिम त्रिपुरा जिले के दुर्गानगर क्षेत्र में देवी काली की मूर्ति खंडित पाई गई। इस घटना के बाद 25 अगस्त की रात को कई घरों को अज्ञात अपराधियों ने आग लगा दी थी।
आज प्रश्नकाल के बाद कांग्रेस विधायक बिरजीत सिन्हा ने इस मुद्दे को उठाया और दास से एक बयान की मांग की। पार्टी के विधायक सुदीप रॉय बर्मन ने इस पोस्ट की निंदा करते हुए कहा, मंत्री ने संविधान की शपथ ली है, वह सोशल मीडिया पर ऐसी पोस्ट नहीं कर सकते। संविधान भारत का मार्गदर्शन करता है। मैं उनसे माफी मांगने की अपील करता हूं।
विपक्ष के हमलों के बीच खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री सुशांत चौधरी दास के बचाव में आए। उन्होंने कहा कि लोगों ने फेसबुक पर पोस्ट देखी है। पाश्चाताप होने के बाद उन्होंने पोस्ट हटा दी। सदन के सदस्यों को मंत्री की भावनाओं को समझना चाहिए। उन्होंने कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार का नाम लिए बिना कहा, त्रिपुरा में कभी अल्पसंख्यक लोगों के साथ उत्पीड़न का कोई मामला नहीं हुआ है। सरकार ‘सबका साथ सबका विकास’ के लिए काम कर रही है। लेकिन कांग्रेस ने एक टुकड़े-टुकड़े गैंग के सदस्य को नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया।
मामले पर बहस के दौरान दास ने कहा कि 1971 के युद्ध के दौरान हजारों हिंदू विस्थापित हुए थे। जम्मू कश्मीर से छह लाख कश्मीरी पंडितों को निकाला गया और जो व्यक्ति इसके पीछे था, उसे पूर्व प्रधानमंत्री ने सम्मानित किया।
विधानसभा में कांग्रेस के सदस्यों ने उनके इस बयान का विरोध किया। इसके बाद कांग्रेस के तीन विधायकों ने दस मिनट के लिए सदन से वॉकआउट किया। हालांकि, माकपा विधायकों ने मंत्री के बयान का विरोध किया और सदन में बैठे रहे। इसके बाद मंत्री ने कांग्रेस को हिंदू विरोधी कहकर विपक्ष पर हमला जारी रखा, तो विपक्षी सदस्य सदन के बीचोंबीच आ गए और नारेबाजी करने लगे। हालांकि, स्पीकर ने विपक्ष के विरोध को नजरअंदाज किया और तय कार्यवाही जारी रखी।