कोरोना का यह रूप जब पत्रकारों के अदना से चुनाव में इतना भयावह, पहले से भी खतरनाक सूरत में कोरोना रिटर्न हो चुका है। करीब आठ सौ लोगों की सहभागिता वाला उ.प्र.राज्य मुख्यालय संवाददाता समिति का चुनाव करवाकर पत्रकार झेल रहे हैं। पछता रहे हैं कि जब कोरोना ने दुबारा दस्तक दे दी थी तो क्यों चुनाव करवाया। इस चुनाव को थोड़ी समय अवधि के लिए और आगे बढ़ा दिया जाता तो साथी पत्रकार की जिन्दगी नहीं जाती। ये चुनाव देर से होता तो कौन सा काम रुक जाता ! देश की रफ्तार और पत्रकारिता का सिलसिला भी नहीं रुक जाता।
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पत्रकारों के चुनाव के तुरंत बाद एक दर्जन से अधिक जर्नलिस्ट और उनके परिजन कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं और एक पत्रकार की मौत हो चुकी है। अंदाजा लगाइए कि जब आठ सौ पत्रकारों की सहभागिता वाले चुनाव ने पत्रकारों पर क़हर बरपा कर दिया तो लगभग बारह करोड़ अट्ठाइस लाख से अधिक लोगों की सहभागिता वाले यूपी के पंचायती चुनाव पर कोरोना संक्रमण के कितने खतरे मंडरा रहे होंगे।
लखनऊ के चंद पत्रकारों के चुनाव और पंचायत चुनाव में जमीन -आसमान का अंतर है। तुलना इसलिए की जा रही है कि कोविड के खतरों में जब संवाददाता समिति के चुनाव में इतने पत्रकार संक्रमित हो सकते हैं और एक पत्रकार की मौत हो सकती है तो इतने बड़े पंचायत चुनाव में बेहद एहतियात बरतने की आवश्यकता होगी। हर पत्रकार शासन द्वारा राज्य मुख्यालय की प्रेस मान्यता नहीं हासिल करता है।
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सौ में पांच पत्रकार ही स्टेट एक्रीडेटेड होते हैं। जो राजधानी में शासन की राज्य स्तरीय खबरें कवर करते हैं उन्हें ये प्रेस मान्यता मिलती है। स्वाभाविक है कि ये पत्रकार काफी वरिष्ठ, तजुर्बेकार, जिम्मेदार, जागरूक और नियम कानूनू का पालन करने वाले होते होंगे। इनकी संवाददाता समिति का चुनाव भी सरकार की परमीशन और निगरानी मे होता है। ये चुनाव किसी आम जगह नहीं बल्कि प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण स्थान विधान भवन में होता है। इनके उम्मीदवार, वोटर और चुनाव अधिकारी भी जिम्मेदार वरिष्ठ पत्रकार होते है। फिर भी इस चुनाव पर कोरोना ने हमला कर दिया। चुनाव के दूसरे दिन नतीजे आए जिसमें तमाम विजेताओं में प्रमोद श्रीवास्तव नाम के नाम के एक विजेता पत्रकार शामिल थे।
नतीजे के दूसरे दिन इनकी तबियत बिगड़ी तो पता चला कि कोरोना संक्रमित हैं। केजीएमयू में एडमिट हुए, वेंटीलेटर पर रखा गया और दूसरे ही दिन इनकी मृत्यु हो गई। इस घटना के बाद तमाम और पत्रकार संक्रमित थे। कुछ को बुखार जैसे लक्षण महसूस हुए। दूसरे ही दिन पत्रकारों की मांग पर एनेक्सी मीडिया सेंटर में जांच के लिए विशेष इंतेजाम किए गए। करीब साठ पत्रकारों ने जांच कराई जिसमें कई पत्रकार संक्रमित पाए गए। कुल लगभग एक दर्जन पत्रकार कोरोना का शिकार जाहिरी तौर पर है। साठ लोगों की जांच में जितने जर्नलिस्ट के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है अंदाजा लगाइए कि चुनाव में सहभागी करीब आठ सौ पत्रकारों की जांच हो तो उसमें कितने संक्रमित होंगे !
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होली से पहले कोविड जांच में पॉज़िटिव पत्रकारों की सूची इस प्रकारहै-
1-आलोक त्रिपाठी
2- विजय त्रिपाठी
3- ज़फ़र इरशाद
4- श्रीमती मुकुल मिश्रा
5- उन्मुक्त मिश्रा
6- विशाल प्रताप सिंह
7- अरविंद चतुर्वेदी
8- मनीष पांडेय
9- ( मनीष पांडेय की बेटी)
10- अभिनव पांडेय
11- ख़ुर्रम निज़ामी
12- आशुतोष गुप्ता
ये कोई डराने वाली बात नहीं है। महसूस करने वाली और जागरुक करने वाला पहलू है कि जब तमाम एहतियातों और सरकार की निगरानी में विधानभवन में हुए बुद्धिजीवी वर्ग के चुनाव में पत्रकारों पर कोरोना बम फट सकता है तो पंद्रह करोड़ से अधिक लोगों की सहभागिता वाले गांव-देहातों में होने जा रहे पंचायत चुनावों में कितनी एहतियात बरतने की जरुरत है।