Bombay HC: बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पूर्व पुलिसकर्मी प्रदीप शर्मा को 2006 में रामनारायण गुप्ता के फर्जी मुठभेड़ के मामले में दोषी ठहराया। अदालत ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई। रामनायाण गैंगस्टर छोटा राजन का कथित रूप से करीबी सहयोगी था।
न्यायमूर्ति रेवती मोहित डेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ सुनवाई कर रही थी। खंडपीठ ने प्रदीप शर्मा को बरी करने के सत्र अदालत के 2013 के फैसले को अनुचित और अपरिपक्व (immature) करार दिया और उसे रद्द (cancel) किया।
22 लोगों पर लगा था हत्या का आरोप
उच्च न्यायालय ने कहा, निचली अदालत ने शर्मा के खिलाफ मौजूद सबूतों की अनदेखी की थी। कई सबूत इस मामले में उनकी संलिप्तता (Involvement) साबित करती है। पीठ ने पूर्व पुलिसकर्मी को तीन हफ्ते के भीतर संबंधित सत्र के सामने आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया। हत्या के लिए 13 पुलिसकर्मियों सहित 22 लोगों पर आरोप लगाया गया था।
14 लोगों की उम्रकैद की सजा बरकरार
उच्च न्यायालय ने पुलिसकर्मियों सहित 14 लोगों को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा। खंडपीठ ने छह आरोपियों की दोषसिद्धि और उम्रकैद की सजा को भी रद्द किया और उन्हें बरी किया। सत्र अदालत ने 2013 में शर्मा को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था और 21 आरोपियों को दोषी ठहराया था। अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इन 21 आरोपियों में से दो की हिरासत में मौत हुई।
मृतक के भाई ने दायर की थी अपील
आरोपियों ने अपनी दोषसिद्धी को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। जबकि अभियोजन पक्ष और मृतक के भाई रामप्रसाद गुप्ता ने शर्मा को बरी किए जाने के खिलाफ अपील दायर की थी।
रामनारायण गुप्ता को शक में पकड़ा
विशेष लोक अभियोजन राजीव चव्हाण ने दलील दी थी कि इस मामले में जो अधिकारी कानून और व्यवस्था के संरक्षक थे, वे खुद एक सुनियोजित हत्या में शामिल थे। मामले में प्रदीप शर्मा को दोषी ठहराने की मांग कर रहे अभियोजन पक्ष ने दलील दी थी कि पूर्व पुलिसकर्मी अपहरण और हत्या का प्रमुख साजिशकर्ता था। पुलिस की एक टीम ने 11 नवंबर 2006 को रामनारायण गुप्ता उर्फ लखन भैया को वाशी से इस शक में पकड़ा था कि वह अपने दोस्त अनिल भेड़ा के साथ छोटा राजन गिरोह का सदस्य है। उसी शाम वर्सोवा उपनगर में नाना नानी पार्क के पास फर्जी मुठभेड़ में गुप्ता की हत्या कर दी गई।