कर्नाटक में बीपीएल राशन कार्ड रद्द करने के फैसले पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सफाई दी। सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि बीपीएल सूची से केवल सरकारी कर्मचारी और आयकरदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं। पात्र गरीब लाभार्थी इस सूची में शामिल रहेंगे। बीपीएल कार्ड रद्द करने का फैसला राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत ही लिया गया है। इसके मुताबिक सरकारी कर्मचारी और आयकरदाता बीपीएल राशन के पात्र नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि भाजपा इस मुद्दे पर राजनीति कर रही है। पात्र राशन कार्ड धारकों के अधिकारों की रक्षा की जाएगी। विपक्ष का चुनावी वादों को पूरा करने के लिए धन की कमी दूर करने के लिए फैसला लागू किए जाने का आरोप निराधार है।
सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि 2013 में मनमोहन सिंह सरकार के दौरान गरीबों के हितों की रक्षा के लिए खाद्य सुरक्षा कानून लाया गया था। उन्होंने बीएस येदियुरप्पा के कार्यकाल के दौरान प्रति लाभार्थी सात किलोग्राम से पांच किलोग्राम खाद्यान्न आवंटन को कम करने के लिए भाजपा की आलोचना की। सीएम ने कहा कि पांचों चुनावी गारंटियों पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। इनके लिए सरकार पर पर्याप्त धनराशि उपलब्ध है।
गलत तरीके से रद्द किए कार्ड फिर जारी करेगी राज्य सरकार
इससे पहले कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा था कि केंद्र ने बीपीएल परिवारों के लिए कुछ मानक स्थापित किए हैं और हमारी सरकार उसी के आधार पर काम कर रही है। अगर पात्र परिवारों के बीपीएल कार्ड रद्द हो गए हैं तो उसे फिर से जारी किया जाएगा।कुछ क्षेत्रों में इसे लेकर विरोध है और हम इसका समाधान करेंगे। अयोग्य लाभार्थियों को हटाने की समीक्षा जारी है। हाल ही में कर्नाटक सरकार ने 22.63 लाख बीपीएल कार्डधारकों को अपात्र माना था। इसके बाद भाजपा और सत्तारूढ़ कांग्रेस के बीच विवाद शुरू हो गया।
सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि नाबार्ड ने राज्यों को दिए जाने वाले ऋण की राशि आधी कर दी है। इसलिए हमें वाणिज्यिक बैंकों के पास जाना पड़ रहा है जो 10 से 12% ब्याज लेते हैं। हमने इस मामले पर प्रधानमंत्री और केंद्रीय वित्त मंत्री को पत्र लिखा है। क्या यह किसानों के साथ अन्याय नहीं है?