नागपुर के सामाजिक कार्यकर्ता मोहनीश जबलपुरे ने सरकार पर एक बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि असविंधानिक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बिना बैंक खातों के अवैद्य एक हजार करोड़ के ऊपर किये खर्चो के विरोध मे मेरी प्रवर्तन निदेशालय E.D मे एक साल पहले सम्पूर्ण दस्तावेज के साथ की गई तक्रार पर अभी तक कोई कारवाई क्यों नहीं.?
निडर, निष्पक्ष, निर्भीक चुनिंदा खबरों को पढने के लिए यहाँ >> क्लिक <<करें
बता दें कि जबलपुरे ने एक साल पहले सितंबर 2021 में ईडी के समक्ष एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें 2020 में कोरोना वायरस महामारी के दौरान आरएसएस द्वारा की गई “सेवा” की जांच की मांग की गई थी। दरअसल, आरएसएस ने दक्षिणपंथी संगठन द्वारा कोरोना वायरस महामारी के दौरान लोगों की मदद करने के लिए किए गए कार्यों को “सेवा” करार दिया था। इसी “सेवा” की मोहनीश जबलपुरे ने शिकायत की थी और जांच की मांग की थी। आरएसएस का दावा है कि उसने 27 लाख प्रवासी कामगारों की मदद के साथ एक करोड़ राशन किट, 7 करोड़ खाने के पैकेट बांटे थे।
अधिक महत्वपूर्ण जानकारियों / खबरों के लिये यहाँ >>क्लिक<< करें
‘लोकल न्यूज’ प्लेटफॉर्म के माध्यम से ‘नागरिक पत्रकारिता’ का हिस्सा बनने के लिये यहाँ >>क्लिक<< करें
जबलेपुर की बात सही है कि जब वित्तीय अनियमितताओं और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए साल 1950 के दशक में कांग्रेस सरकार द्वारा स्थापित किए गए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को बिना देरी किए तलब कर दिया और बयान दर्ज करवाने के लिए उन्हें ED दफ्तर बुला लिया। राहुल गांधी से तीन अलग-अलग दिनों में करीब 20 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ के बाद भी चौथे दिन आज फिर एजेंसी द्वारा उन्हें बुलाया गया है। तो सघ के खिलाफ शिकायत पर ED कोई जांच या कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है.