कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुई दरिंदगी के मामले में अभी तक कोई भी सुदृढ़ फैसला नहीं आ सका है, जबकि इस वारदात को हुए दो महीने से ज्यादा का वक्त हो चुका है। इस वारदात में फिलहाल दो मुख्य आरोपी है, एक संजय रॉय जिस पर वारदात को अंजाम देने का आरोप है। वहीं मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष भी मामले मे आरोपी है। फिलहाल संदीप घोष फिर से चर्चा में हैं। क्योंकि, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सोमवार को सीबीआई को निर्देश दिया कि वह आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष की बैंक में जमा फिक्स्ड डिपॉजिट को खत्म करने की याचिका के संबंध में रिपोर्ट दाखिल करें।
याचिका में सीबीआई को प्रतिवादी बनाएं- जज
मामले में न्यायमूर्ति सुभेंदु सामंत ने संदीर घोष को निर्देश दिया कि वह अपनी याचिका में सीबीआई को प्रतिवादी बनाएं, जिसमें भारतीय स्टेट बैंक को उनके परिवार की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उनकी फिक्स्ड डिपॉजिट को खत्म करने का निर्देश देने की मांग की गई है। बता दें कि संदीप घोष को सीबीआई ने सरकारी आरजी कर अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच के सिलसिले में 2 सितंबर को गिरफ्तार किया था और बाद में ड्यूटी पर मौजूद जूनियर डॉक्टर के दुष्कर्म और हत्या के मामले में सबूतों से छेड़छाड़ करने के आरोप में भी गिरफ्तार किया था।
संदीप घोष की पत्नी ने बैंक से किया था संपर्क
वहीं संदीप घोष के वकील ने अदालत के समक्ष दावा किया कि हिरासत के दौरान उनकी पत्नी ने परिवार की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उनकी फिक्स्ड डिपॉजिट को खत्म करने के लिए बैंक से संपर्क किया था। उन्होंने दावा किया कि उक्त फिक्स्ड डिपॉजिट के मूल दस्तावेज याचिकाकर्ता के कब्जे में हैं और सीबीआई ने उन्हें जब्त नहीं किया है।
मामले में 30 अक्टूबर को अगली सुनवाई
मामले में बैंक के वकील ने कहा कि क्योंकि संदीप घोष के खिलाफ सीबीआई जांच चल रही है, इसलिए फिक्स्ड डिपॉजिट को भुनाना संभव नहीं है। यह देखते हुए कि मामले में सीबीआई को पक्ष नहीं बनाया गया है, न्यायमूर्ति सामंत ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह उच्च न्यायालय के पिछले आदेशों पर दोनों मामलों की जांच कर रही केंद्रीय एजेंसी को अपनी याचिका में प्रतिवादी बनाएं। सीबीआई को 30 अक्टूबर को अगली सुनवाई तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हुए अदालत ने कहा कि घोष की याचिका के संबंध में आदेश पारित करने से पहले यह आवश्यक है।