एल्गार परिषद-माओवादी मामले में गिरफ्तार गौतम नवलखा को घर में नजरबंदी के दौरान उनकी सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी उपलब्ध कराने के खर्च के लिए 1.64 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी। हालांकि सुनवाई के दौरान गौतम नवलखा के वकील ने इस पर आपत्ति जताई। वकील ने एजेंसी पर जबरन वसूली का आरोप लगाया है।
एनआईए की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने पीठ को बताया कि एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में गिरफ्तार 70 वर्षीय नवलखा ने अब तक केवल 10 लाख रुपये की राशि का भुगतान किया है। राजू ने कहा कि उसे कुछ राशि का भुगतान करना होगा। नवलखा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील नित्या रामकृष्णन ने 1.64 करोड़ रुपये के आंकड़े का विरोध करते हुए कहा कि देय राशि के बारे में एजेंसी गलत थी और प्रासंगिक नियमों के विपरीत थी।
जबरन वसूली शब्द पर कड़ी आपत्ति- एसवी राजू
वकील नित्या रामकृष्णन ने कहा कि एजेंसी हिरासत में रखने के लिए उनसे एक करोड़ रुपये की मांग नहीं कर सकते हैं। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जबरन वसूली शब्द के इस्तेमाल पर कड़ी आपत्ति जताई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले पर विस्तार से सुनवाई की जरूरत है और मामले को अप्रैल माह के लिए स्थगित कर दिया।
क्या है मामला
बॉम्बे हाईकोर्ट ने पिछले साल 19 दिसंबर को नवलखा को जमानत दे दी थी, लेकिन एनआईए द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने के लिए समय मांगने के बाद अपने आदेश पर तीन सप्ताह के लिए रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने पहले कहा था कि नवलखा को आगे भी घर में नजरबंद रखने से गलत मिसाल कायम होगी। गौरतलब है कि नवलखा नवंबर 2022 से मुंबई की एक सार्वजनिक लाइब्रेरी में नजरबंद हैं।