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Thursday, November 21, 2024

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‘NSE के CEO के डीपफेक वीडियो पर तत्काल कार्रवाई करें’, सोशल मीडिया कंपनियों को आदेश

बंबई उच्च न्यायालय ने सोशल मीडिया मंचों को उन कथित डीपफेक वीडियो पर तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया, जिनमें नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनएसआई) के प्रंबध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) की ओर से शेयर खरीदने का सुझाव दिए गए थे। न्यायमूर्ति आर. आई. चांगला की एकल पीठ ने अपने 16 जुलाई देश में फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया मंचों को एनएसई के ट्रेडमार्क का उल्लंघन करने वाले सभी खातों को हटाने या डिलीट करने का भी निर्देश दिया। 

उच्च न्यायालय ने कहा कि सुविधा का संतुलन भी वादी (एनएसई) के पक्ष में है और जब तक कि मांगी गई अंतरिम राहत नहीं दी जाती, तब तक वादी को अपूरणीय क्षति या नुकसान होगा। पीठ ने सोशल मीडिया मंचों को निर्देश दिया कि वे ऐसे वीडियो और प्रोफाइल के खिलाफ शिकायत मिलने पर दस घंटे के भीतर ऐसी सामग्री को हटा दें, जहां वादी के ट्रेडमार्क का उल्लंघन होता है। अदालत ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के तहत सोशल मीडिया कंपनियों को संदिग्ध वेब पेजों/प्रोफाइल खातों/विज्ञापन/वीडियो/सामग्री/सोशल मीडिया समूहों पर उनके ट्रेडमार्क के अनाधिकृत उपयोग के बारे में शिकायतों पर तत्काल कार्रवाई करना अनिवार्य किया गया है। 

एनएसई ने यह दावा करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था कि सोशल मीडिया मंचों पर उनके एमडी और सीईओ आशीष कुमार चौहान का एक डीपफेक वीडियो दिखा, जिसमें वह निवेश और शेयर के बारे में टिप्स देते दिखाई दे रहे थे। उनके चेहरे के भावों की नकल करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल कर वीडियो तैयार किया गया था।एनएसई ने इन वीडियो को हटाने और डिलीट करने के लिए सोशल मीडिया कंपनियों को निर्देश देने की मांग की थी। 

सोशल मीडिया पर प्रसारित किए झूठे विज्ञापन: एनएसई
एनएसई ने आगे दावा किया कि कुछ अपराधियों ने कथित तौर पर इसके ट्रेडमार्क का इस्तेमाल किया है और फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया मंचों पर झूठे और भ्रामक विज्ञापन प्रसारित किए हैं। एनएसई ने अपनी याचिका में कहा कि इस साल अप्रैल में उसने साइबर पुलिस में भी शिकायत दर्ज कराई थी। एनएसई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील बीरेंद्र शराफ ने अदालत को बताया कि सोशल मीडिया मंचों के शिकायत प्रकोष्ठ में भी शिकायत दर्ज कराई गई, इसके बावजूद ऐसे डीपफेक वीडियो और ट्रेडमार्क का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। 

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