केंद्र एवं राज्यों में ‘पुरानी पेंशन’ को लेकर आंदोलन जारी है। अब 8वें वेतन आयोग के गठन को लेकर देश में करीब दो करोड़ कर्मचारी एवं पेंशनर, आक्रोश में हैं। वजह, केंद्रीय वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने कहा है कि सरकार द्वारा आठवां वेतन आयोग गठित करने की कोई योजना नहीं है। केंद्रीय कर्मचारियों, सशस्त्र बलों के कर्मचारियों और राज्य कर्मियों पर आठवें वेतन आयोग की सिफारिशों को जनवरी 2026 से लागू किया जाना प्रस्तावित है। ऐसे में आठवें वेतन आयोग का गठन किया जाना जरूरी है।
अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा आठवां वेतन आयोग गठित न करने का फैसला, अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार के फैसले के खिलाफ आंदोलन होगा। केंद्र एवं राज्यों के लाखों सरकारी कर्मचारी, सड़कों पर उतरेंगे। महासंघ की 28-30 दिसंबर को कोलकाता में होने वाली नेशनल काउंसिल की बैठक में केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ अन्य कर्मचारी संगठनों को साथ लेकर राष्ट्रव्यापी आंदोलन का एलान किया जाएगा।
बतौर सुभाष लांबा, केंद्रीय वित्त सचिव टीवी सोमनाथन का यह बयान इशारा करता है कि 48.67 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 67.95 लाख पेंशनभोगियों के लिए सरकार के एजेंडे में आठवां वेतन आयोग गठित करने की कोई योजना नहीं है। इस बयान से केंद्रीय एवं राज्य कर्मियों एवं पेंशनर्स को तगड़ा झटका लगा है। उनमें आक्रोश व्याप्त है। वेतन आयोग से देश के कर्मचारियों एवं पेंशनर्स को उनके वेतन, पेंशन और भत्तों में कुछ बढ़ोतरी होने की उम्मीद बनी रहती है। केंद्रीय कर्मचारियों, सशस्त्र बलों और राज्य सरकार के कर्मियों पर आठवें वेतन आयोग की सिफारिशों को जनवरी 2026 से लागू किया जाना प्रस्तावित है। पिछला वेतन आयोग 2013 में गठित हुआ था, जबकि इसकी सिफारिशें 2016 में लागू हुई थी।
अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ की 28-30 दिसंबर को कोलकाता में होने वाली नेशनल काउंसिल की बैठक में केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ अन्य कर्मचारी संगठनों को साथ लेकर राष्ट्रव्यापी आंदोलन का एलान होगा। नेशनल काउंसिल की बैठक में सभी राज्यों से करीब 600 डेलीगेट्स भाग लेंगे। महासचिव ए.श्री कुमार ने बताया, कर्मचारियों ने आंदोलन के दम पर हर दस साल बाद वेतनमान व पेंशन में संशोधन के लिए वेतन आयोग के गठन का प्रावधान कराया था। अब तक सात केंद्रीय वेतन आयोग का गठन हुआ है। केंद्र सरकार ने इनकी सिफारिशों को केंद्रीय कर्मचारियों एवं पेंशन भोगियों पर लागू किया है। जब केंद्र सरकार, वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करती है तो उसके बाद राज्य सरकारें भी अपने कर्मचारियों एवं पेंशन भोगियों पर उक्त सिफारिशों को लागू करती हैं।
केंद्र सरकार द्वारा आठवां वेतन आयोग गठित करने से इनकार करने के बाद राज्य कर्मियों का रास्ता अपने आप बंद हो गया है। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, लगभग 48.67 केंद्रीय कर्मचारी और 67.95 लाख पेंशन भोगी हैं। इससे ज्यादा राज्य सरकारों और पीएसयू के कर्मचारी एवं पेंशनर्स हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया, वित्त सचिव के बयान के अनुसार, केन्द्र सरकार एनपीएस में कुछ संशोधन करने जा रही है। सरकार ने पेंशन प्रणाली की समीक्षा के लिए वित्त सचिव के नेतृत्व में समिति का गठन किया था।
वित्त सचिव टीवी सोमनाथन का कहना है कि हमने सभी पक्षों के साथ विचार विमर्श पूरा कर लिया है। हमारी रिपोर्ट जल्द ही दाखिल हो जाएगी। लांबा ने दो टूक शब्दों में कहा कि कर्मचारियों को एनपीएस में कोई भी संशोधन मंजूर नहीं है। कर्मचारियों को पीएफआरडीए एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन बहाली से कम पर कुछ भी मंजूर नहीं है। पुरानी पेंशन बहाली, आठवें वेतन आयोग का गठन, 18 महीने के बकाया डीए डीआर का भुगतान, ठेका संविदा कर्मियों की रेगुलराइजेशन, निजीकरण पर रोक, खाली पदों को पक्की भर्ती से भरने, ट्रेड यूनियन एवं लोकतांत्रिक अधिकारों की सुरक्षा, एनईपी को रद्द करने, एक्स ग्रेसिया रोजगार स्कीम में लगाई गई शर्तों को हटाने, पेंशनर्स की 65, 70, 75 व 80 साल की उम्र में बेसिक पेंशन में 5 प्रतिशत बढ़ोतरी करने आदि मांगों का समाधान जब तक नहीं होगा, कर्मियों का आंदोलन जारी रहेगा।