-रवि जी. निगम
पढें सरकार को सुझाव में क्या-क्या दिया गया है –
अब देखना है कि इस आपदा के दौर में सरकार शिक्षा माफिया या देश की जनता के साथ, ये तो साफ होना ही चाहिये कि नहीं ? आज देश का भविष्य बाट जोह रहा है कि हमारी चुनी हुई सरकार हमारे हक़ की लडाई के साथ या देश को लूट रहे शिक्षा मांफिया के साथ ?
इसी विषय पर श्रमिक उत्थान ने एक सुझाव सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया है, जिसमें सुझाया गया है कि क्योंकर केंद्र व राज्य सरकारों को देश के नागरिकों के प्रति सहानुभूति का मरहम लगाने की जरूरत है, और देश के भविष्य के भविष्य को बचाने की सख्त जरूरत है, यही देश के भविष्य ही आगे चल कर कोई जज, वकील, डॉक्टर, इंजीनियर, साइंटिस्ट बनेगा, प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति बनेगा, तो क्या हमारी चुनी हुई सरकार का दयित्व नहीं बनता कि वो आमजन को इस आपदा के दौरान शिक्षा मांफिया से राहत दिलाये ?
जिसमें सुझाया गया है कि सरकार को सिर्फ अनएडेड स्कूलों को कुछ सहियोग करने से ही समस्या का हल निकाला जा सकता है, उसे यदि सरकार ऑनलाईन फीस लेने और शिक्षकों की सैलरी भुगतान करने की मंजूरी दी जाये ताकि पारदर्शिता हो सके कि स्कूल छात्रों से कितनी फीस वसूलते हैं और अपने शिक्षकों को कितनी सैलरी देते हैं
यदि सरकार इसपर निगरानी करले ले तो हो सकता है कि सरकार के ऊपर कोई खाश बोझ भी न आये और 30 प्रतिशत फीस ही काफी हो, लेकिन ये तो सरकार की मंसा पर निर्भर करता है कि उन्हे अब इन शिक्षा मांफिया का साथ देना है कि देश के नागरिकों का ?
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