भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक शुरू हो गई है, जिस पर इस त्योहारी सीजन से ठीक पहले बाज़ार की नज़रे टिकी हुई हैं। पिछली बैठक (अगस्त 2025) में आरबीआई ने रेपो दर को 5.50 प्रतिशत पर बरकरार रखा था। बाज़ार विशेषज्ञ अब दो धड़ों में बंटे हुए हैं: 60 प्रतिशत विशेषज्ञों को उम्मीद है कि 25 आधार अंकों (bps) की कटौती होगी, जबकि शेष 40 प्रतिशत का मानना है कि आरबीआई अपनी दरों को स्थिर रखते हुए न्यूट्रल रुख बनाए रखेगा।
विशेषज्ञों का एक वर्ग तर्क दे रहा है कि चूंकि मुद्रास्फीति आरबीआई के 4 प्रतिशत के लक्ष्य के नीचे नियंत्रण में है, और सरकार ने हाल ही में जीएसटी दरों में कटौती की है, इसलिए ब्याज दरों में 25 बीपीएस की कटौती करना उचित होगा। उनका मानना है कि इस कटौती से होम लोन और कार लोन की ईएमआई सस्ती होगी और आगामी त्योहारों में मांग और खपत को बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिससे अर्थव्यवस्था को 7.8 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि को बनाए रखने में बल मिलेगा।
हालांकि, अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार द्वारा पहले ही जीएसटी सुधार और आयकर कटौती जैसे कई कदम उठाए जा चुके हैं, जिनका उद्देश्य खपत बढ़ाना है। सीएनआई इंफो प्राइवेट लिमिटेड के सीएमडी किशोर ओस्तवाल सहित कई जानकारों ने कहा कि वैश्विक व्यापार चुनौतियों और बॉन्ड मार्केट में उथल-पुथल को देखते हुए, आरबीआई फिलहाल ब्याज दर को अपना “सबसे बड़ा हथियार” मानते हुए न्यूट्रल रुख बनाए रख सकता है। इसके अलावा, अर्थशास्त्रियों ने आगाह किया है कि वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति फिर से बढ़ सकती है, जिसके कारण आरबीआई कोई जल्दबाजी वाला फैसला लेने से बच सकता है।