इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फिर कोरोना वायरस के इस वैरिएंट को लेकर आगाह किया है. WHO ने कहा है कि ओमिक्रॉन वायरस से लड़ने वाली वैक्सीन की प्रभावशीलता को कम करने में सक्षम है और यह तेजी से पैर पसार रहा है. उसने संभावना जताई है कि जल्द ही कोरोना वायरस के मामलों में ओमिक्रॉन डेल्टा वायरस को पीछे छोड़ देगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रविवार को कहा कि प्रारंभिक आंकड़ों के मुताबिक, ओमिक्रॉन डेल्टा स्ट्रेन (Delta Variant) के मुकाबले ज्यादा संक्रामक है.
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यह संक्रमण के बाद वैक्सीन की शरीर में प्रभावशीलता को भी कम कर देता है. हालांकि इसमें बेहद कम लक्षण दिखते हैं. यूएन एजेंसी के तकनीकी विशेषज्ञों के अनुसार, संभावना है कि ओमिक्रॉन जल्द ही डेल्टा वैरिएंट को पीछे छोड़ सकता है, जहां कम्यूनिटी ट्रांसमिशन (बड़े पैमाने पर संक्रमण) हुआ हो.
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डेल्टा वैरिएंट सबसे पहले भारत में पहचाना गया था और दुनिया में कोरोना के सबसे ज्यादा संक्रमण और मौतों के लिए इसे जिम्मेदार माना जाता है. ओमिक्रॉन का पहला मामला दक्षिण अफ्रीका में सामने आया था. इसके बाद यह तेजी से दूसरे देशों में फैलता चला गया. यूरोपीय संघ, अमेरिका, भारत समेत तमाम बड़े देशों ने अफ्रीकी देशों से आने वाली उड़ानों को या तो प्रतिबंधित कर दिया है या फिर सघन जांच के बाद ही इन देशों के यात्रियों को आने की इजाजत दी जा रही है.
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संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी का कहना है कि ओमिक्रॉन बेहद कम समय में 63 देशों तक फैल चुका है. यह डेल्टा स्ट्रेन के सबसे कम केस वाले साउथ अफ्रीका से सबसे ज्यादा केस वाले ब्रिटेन तक पहुंच चुका है. हालांकि पर्याप्त डेटा की कमी को देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि ओमिक्रॉन इम्यूनिटी के लिए भले ही डेल्टा जितना खतरनाक न हो, लेकिन इन दोनों का एक जगह पहुंचना नए खतरे का कारण बन सकता है.