केरल के नेदुंबसेरी अंग तस्करी मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने चार आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। एर्नाकुलम में एनआईए की विशेष अदालत में दाखिल की गई चार्जशीट में कहा गया है आरोपी मेडिकल टूरिज्म की आड़ में लोगों को ईरान ले जाकर अंग प्रत्यारोपण कराते थे।
अधिकारियों ने बताया कि अंग तस्करी मामले में केरल पुलिस ने सबीथ नासर, साजिथ श्याम, बेलमकोंडा राम प्रसाद को पकड़ा था। इस मामले में एक आरोपी मधु जयकुमार फरार है। एनआईए ने 3 जुलाई 2024 को नेदुंबस्सेरी पुलिस से मामला अपने हाथ में ले लिया था। जांच में एनआई ने पाया कि चारों आरोपी मिलकर भोले-भाले युवाओं को पैसे के बदले अपने अंग दान करने के लिए प्रेरित करते थे और अंग की विदेश में तस्करी करते थे।
इसके अलावा आरोपी प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले भारतीय मरीजों से भी संपर्क करते थे और उनसे प्रत्यारोपण कराने के लिए 50 लाख रुपये वसूलते थे। आरोपियों ने अवैध अंग व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार के विभिन्न कार्यालयों और अधिकारियों की मुहरों और हस्ताक्षरों सहित जाली दस्तावेज बनाए।
सबीर के पकड़ में आने के बाद अंग तस्करी रैकेट का चला पता
पुलिस पूछताछ में त्रिशूर के सबीथ नासर ने बताया कि उसने 2019 में अपनी किडनी बेची थी, जिसके बाद वह अंग तस्करी के रैकेट में शामिल हो गया। नासर के बयान के बाद पुलिस ने हैदराबाद में जांच शुरू की। इस दौरान पता चला कि ईरान, कुवैत और श्रीलंका में अंग तस्करी का एक बहुत बड़ा रैकेट चल रहा था।
वहीं राम प्रसाद अपनी किडनी बेचने की कोशिश कर रहा था। स्वास्थ्य समस्याओं के चलते वह किडनी तो नहीं बेच पाया, लेकिन खरीदने वाला बन गया। इस दौरान उसका संपर्क अंग तस्करी के गिरोह से हुआ। बाद में वह ईरान में गिरोह के कथित लिंक मधु के संपर्क में आया। वैभव ने बताया कि अंग प्राप्तकर्ता मधु से संपर्क करते थे, जो राम प्रसाद के साथ मिलकर उनकी मांगे पूरी करता था।
कम आय वाले परिवारों से थे अंग दानकर्ता
बताया गया कि अंग दान करने वाले कम आय वाले परिवारों से हैं, जिन्हें अंग डोनेट करने के लिए छह लाख रुपए तक दिए गए। हालांकि, आरोपियों ने इससे कहीं अधिक धन कमाया। उन्होंने बताया कि भारत में गिरोह के सभी सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया है।