अफ़ग़ानिस्तान के सुप्रीम लीडर मुल्लाह हैबतुल्लाह आख़ूंदज़ादा ने काबुल में तालिबान की मेज़बानी में आयोजित होने वाले लोया जिरगा को संबोधित करते हुए कहा है कि अमरीका के साथ हमारी लड़ाई धार्मिक विश्वासों की लड़ाई है, जो अभी भी जारी है।
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शुक्रवार को लोया जिरगा में उपस्थित धर्मगुरुओं और क़बायली नेताओं को संबोधित करते हुए तालिबान के नेता ने कहाः अमरीका के साथ हमारी लड़ाई ज़मीन और पानी के लिए नहीं थी, बल्कि यह यह एक धार्मिक युद्ध था।
गुरुवार को काबुल में शुरू हुए तीन दिवसीय लोया जिरगा में 3000 से ज़्यादा लोगों के भाग लेने का अनुमान था।
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तालिबान के सुप्रीम लीडर ने पिछले दो दशक से जारी युद्ध के बारे में कहाः अफ़ग़ानों से लड़ने का हमारा कोई इरादा नहीं था, लेकिन हमें उससे युद्ध करना पड़ा, क्योंकि उन्होंने ख़ुद को काफ़िरों की ढाल बना रखा था।
तालिबान की शासन शैली के बारे में मुल्लाह आख़ूंदज़ादा ने कहाः दुनिया हमारे आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप न करे और हमें यह सिखाने का प्रयास नहीं करे कि शासन कैसे किया जाता है।
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उन्होंने कहा कि हमारा मूल उद्देश्य, शांति और सुरक्षा की स्थापना है और इस्लामी व्यवस्था की छाया में शांतिपूर्ण जीवन बिताना और प्रगति के मार्ग पर चलना है।
तालिबान लीडर का कहना था कि देश में अगली सरकार के गठन के लिए हम एक दूसरे लोया जिरगा का आयोजन करेंगे और धर्मगुरुओं से सलाह लेंगे।