कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर के दुष्कर्म और हत्या से पूरा देश स्तब्ध है। देशभर से इस जघन्य अपराध के खिलाफ आवाज उठ रही है। अब देशभर की 295 प्रबुद्ध हस्तियों ने इस घटना को लेकर एक खुला खत लिखा है। इन हस्तियों में 20 सेवानिवृत्त न्यायाधीश, 110 पूर्व नौकरशाह जिनमें 13 राजदूत रह चुके हैं। इसके अलावा 165 सैन्य बलों के पूर्व अधिकारी शामिल हैं। इन सभी हस्तियों ने इंसाफ की गुहार (A Cry for Justice) नाम से एक खुला खत लिखा है, जिसमें सुझाव दिया गया है कि सुरक्षा के मानकों को कैसे मजबूत किया जाना चाहिए।
पत्र में क्या लिखा है?
पश्चिम बंगाल में हाल ही में दिल झकझोर देने वाली घटना को अंजाम दिया गया। एक राज्य, जो अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रख्यात है, उस राज्य से पूरे देश को एक झटका लगा है। कोलकाता के आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज में एक युवा डॉक्टर के साथ हुए क्रूर बलात्कार और हत्या ने पश्चिम बंगाल के समाजिक-सांस्कृतिक परिदृश्य में हो रही गिरावट और महिलाओं को सामना करने वाले गंभीर खतरों की स्पष्ट तस्वीर पेश की है। यह राज्य, जो देवी दुर्गा की भूमि है और जहां रवींद्रनाथ ठाकुर का जन्म हुआ, जिन्होंने हमारे राष्ट्रीय गान की रचना की। वो राज्य अब ऐसे गंभीर मुद्दों से जूझ रहा है।
पत्र में आगे लिखा है कि यह घृणित अपराध केवल ‘न्याय की पुकार’ नहीं बल्कि तत्काल परिवर्तन के भी गंभीर संकेत देता है। यह अधिकारियों के लिए एक चेतावनी है कि वे सभी जातियों और धर्मों की महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दें। पुलिस और प्रशासन, महिलाओं और डॉक्टरों की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता दिखाने में विफल साबित रहे। उनकी कार्रवाइयों ने उनकी निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। इस डरावने दुष्कर्म और हत्या को पहले आत्महत्या बताया गया। पीड़िता के माता-पिता को अपनी बेटी का शव देखने से पहले परेशानी से भरा इंतजार करना पड़ा। इसके बाद जल्दबाजी में गिरफ्तारी की गई, जिससे जांच की गंभीरता पर सवाल उठने लगे।
‘अधिकारियों ने की गलती’
पत्र में आगे लिखा गया है कि चिंताजनक रूप से, घटना के 24 घंटे के भीतर ही अपराध स्थल से मात्र 20 मीटर की दूरी पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया, जिससे महत्वपूर्ण सबूतों के प्रभावित होने की संभावना पैदा हो गई। यह कार्रवाई अधिकारियों द्वारा की गई बड़ी गलतियों में से एक बड़ी गलती थी। इस वजह से सुचारू और प्रभावी जांच को अंजाम देने में महत्वपूर्ण बाधाएं उत्पन्न हुईं। कलकत्ता हाईकोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप करने की जरूरत पड़ी ताकि मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के पास स्थानांतरित किया जा सके। इसके बाद कठोर जांच की शुरुआत हो सकी। सीबीआई को देरी से सौंपी गई जांच की वजह से कीमती समय का नुकसान हुआ। इस कीमती समय में असली दोषियों को पकड़ा जा सकता था। यह सब पश्चिम बंगाल प्रशासन की प्रभावहीनता की वजह से हुआ।
इस घटना के बाद कोलकाता में डॉक्टरों ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन शुरू किया, जो कि उनका सांविधानिक अधिकार है। प्रदर्शनकारियों पर भीड़ ने हमला किया। कोलकाता पुलिस शांत होकर इस हमले को देखती रही। आरोप लगाए गए कि यह हमला डॉक्टरों की आवाज को दबाने और सबूतों पर परदा डालने के लिए किया गया। यह घटना कोलकाता में व्याप्त उदासीनता, गलत प्रशासन और जवाबदेही की कमी को उजागर करती है। राज्य का स्पष्ट झुकाव पीड़ितों की रक्षा करने के बजाय अपराधियों को बचाने की है, जो कि न्याय का घोर उल्लंघन है।
पत्र में आगे लिखा गया है कि पश्चिम बंगाल में यह अलग तरह का मामला नहीं है। बीते कई वर्षों में राज्य में हिंसक घटनाएं देखने को मिलीं हैं। चुनाव के दौरान की हिंसा से लेकर हाल ही में दुष्कर्म की घटना तक, राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर आत्मविश्लेषण की जरूरत है। सुधार के लिए तत्काल ही कदम उठाने की जरूरत है। बार-बार न्यायालयों को इन परिस्थितियों में हस्तक्षेप करना पड़ता है और किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए ये अच्छे संकेत नहीं हैं।
पत्र में आगे सुझाव दिया गया है कि एक सुरक्षित समाज बनाने के लिए महत्वपूर्व उपाय करने की आवश्यकता है। कानूनी सहायता, मनोवैज्ञानिक परामर्श, और सामुदायिक जागरूकता अभियानों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए मौजूदा नीतियों की समीक्षा जरूरी है। एक युवा डॉक्टर की दुखद मृत्यु ने स्वास्थ्य पेशेवरों की संवेदनशीलता को उजागर किया है, जो दूसरों की जान बचाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते हैं।