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Friday, November 22, 2024

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उत्तर प्रदेश फ़र्ज़ी विश्विद्यालयों में अव्वल

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने 24 यूनिवर्सिटीज को फर्जी घोषित किया है, वहीं दो संस्थानों में मानदंडों का उल्लंघन पाया गया है। इस बात की जानकारी केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में दी । इन यूनिवर्सिटीज को छात्रों, अभिभावकों, आम जनता और इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट मीडिया के जरिए प्राप्त शिकायतों के आधार पर यूजीसी ने फर्जी घोषित किया है।

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उत्तर प्रदेश इस मामले में सबसे आगे है है जहाँ सबसे अधिक 8 विश्वविद्यालय फर्जी घोषित हुए हैं – वाराणसी का वाराणसी संस्कृत विश्वविद्यालय, महिला ग्राम विद्यापीठ, इलाहाबाद; गांधी हिंदी विद्यापीठ, इलाहाबाद; नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ इलेक्ट्रो कॉम्प्लेक्स होम्योपैथी, कानपुर; नेताजी सुभाष चंद्र बोस मुक्त विश्वविद्यालय, अलीगढ़; उत्तर प्रदेश विश्वविद्यालय, मथुरा; महाराणा प्रताप शिक्षा निकेतन विश्वविद्यालय, प्रतापगढ़ और इंद्रप्रस्थ शिक्षा परिषद, नोएडा।

वहीं दिल्ली में ऐसे 7 फर्जी विश्वविद्यालय हैं – वाणिज्यिक विश्वविद्यालय लिमिटेड, संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय, व्यावसायिक विश्वविद्यालय, एडीआर केंद्रित न्यायिक विश्वविद्यालय, भारतीय विज्ञान और इंजीनियरिंग संस्थान, स्वरोजगार के लिए विश्वकर्मा मुक्त विश्वविद्यालय और आध्यात्मिक विश्वविद्यालय।

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जबकि ओडिशा और पश्चिम बंगाल में दो-दो ऐसे विश्वविद्यालय हैं। ये हैं – इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन, कोलकाता और इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन एंड रिसर्च, कोलकाता. इसके साथ-साथ नवभारत शिक्षा परिषद, राउरकेला और नॉर्थ उड़ीसा यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी।

कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, पुडुचेरी और महाराष्ट्र में एक-एक फर्जी विश्वविद्यालय हैं। ये विश्वविद्यालय हैं – श्री बोधि एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन, पुडुचेरी; क्राइस्ट न्यू टेस्टामेंट डीम्ड यूनिवर्सिटी, आंध्र प्रदेश; राजा अरबी विश्वविद्यालय, नागपुर; सेंट जॉन्स यूनिवर्सिटी, केरल और बड़गंवी सरकार वर्ल्ड ओपन यूनिवर्सिटी एजुकेशन सोसाइटी, कर्नाटक।

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धर्मेंद्र प्रधान ने कहा “इसके साथ ही भारतीय शिक्षा परिषद, लखनऊ, यूपी और भारतीय योजना और प्रबंधन संस्थान, कुतुब एन्क्लेव, नई दिल्ली को भी यूजीसी अधिनियम 1956 का उल्लंघन करते हुए पाया गया है। भारतीय शिक्षा परिषद के मामले और आईआईपीएम के मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं।”

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