ओडिशा में 2022 में संबलपुर कलक्ट्रेट के बाहर विरोध प्रदर्शन के दौरान महिला पुलिसकर्मी से अभद्रता के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विधायक और भाजपा नेता जयनारायण मिश्रा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश हृषिकेश रॉय और न्यायाधीश एसवीएन भट्टी की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि नेतृत्व करने वालों को सार्वजनिक तौर पर अपने व्यवहार का एक उदाहरण स्थापित करना चाहिए। वहीं मामले में भाजपा नेता ने कहा कि उनको शीर्ष अदालत के फैसले की जानकारी नहीं है। उनके खिलाफ बीजद सरकार ने झूठा मामला दर्ज कराया था।
15 फरवरी 2022 को संबलपुर जिला कलेक्टर के कार्यालय के सामने विरोध-प्रदर्शन के दौरान महिला पुलिसकर्मी को धक्का देने के आरोप में भाजपा के वरिष्ठ नेता के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 (एक महिला की मर्यादा भंग करना) सहित विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। धनुपाली पुलिस स्टेशन की आईआईसी (इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी) अनीता प्रधान के अनुसार, जब भाजपा कार्यकर्ता कलेक्टर के परिसर में घुसने की कोशिश कर रहे थे, तो वह मिश्रा के साथ आमने-सामने आ गईं, जिन्होंने पूछा कि वह कौन हैं। महिला अधिकारी ने कहा कि जब मैंने खुद के बारे में उन्हें बताया तो उन्होंने मुझ पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया और मुझे डकैत कहा। जब मैंने पूछा कि वह इस तरह के आरोप क्यों लगा रहे हैं, तो उन्होंने मेरे चेहरे पर धक्का दे दिया।
मामले में भाजपा विधायक जयनारायण मिश्रा ने आरोप को खारिज करते हुए कहा था कि पुलिस महिला श्रमिकों को यातना दे रही है। हम इसी के विरोध में आवाज उठा रहे थे लेकिन उस महिला पुलिस ने मेरे खिलाफ नारेबाजी का आरोप लगा दिया और मुझे धक्का दे दिया। मैंने उन्हें धक्का नहीं दिया। उन्होंने एक साजिश रची। मैं उन्हें जानता भी नहीं हूं। इस मामले में विधायक को गिरफ्तार किया गया था।
इसके बाद विधायक जयनारायण मिश्रा ने मुकदमा दर्ज होने के बाद उड़ीसा हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। 16 नवंबर 2023 को हाईकोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद विधायक ने शीर्ष अदालत से राहत मांगी थी। मगर सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी याचिका खारिज कर दी।