नई दिल्ली: कोरोना की दूसरी लहर में देश ने कई वरिष्ठ पत्रकारों को खो दिया. जिले, कस्बे, गांवों में काम कर रहे तमाम पत्रकार भी इस जानलेवा वायरस के सामने हार गए. दिल्ली आधारित इंस्टीट्यूट ऑफ परसेप्शन स्टडीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2020 से 16 मई 2021 तक कोरोना संक्रमण से कुल 238 पत्रकारों की मौत हो चुकी है.
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दूसरी लहर भयावह
रिपोर्ट बताती है कि कोरोना की पहली लहर में अप्रैल 2020 से 31 दिसंबर 2020 तक 56 पत्रकारों की मौत हुई लेकिन दूसरी लहर ज्यादा भयावह साबित हुई. 1 अप्रैल 2021 से 16 मई की बीच 171 पत्रकारों ने दम तोड़ दिया. शेष 11 पत्रकारों का निधन जनवरी से अप्रैल के बीच हुआ.
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82 पत्रकारों का वेरिफिकेशन नहीं
इंस्टीट्यूट के रिकॉर्ड में 82 पत्रकारों के नाम और हैं, जिनका वेरीफिकेशन नहीं हो सका है. नेटवर्क ऑफ वुमन इन मीडिया, इंडिया के मुताबिक भी करीब 300 पत्रकारों की मौत कोरोना संक्रमण के चलते हुई है. इसका एक गूगल डॉक्यूमेंट ट्विटर पर खूब शेयर हो रहा है.
सभी तरह के पत्रकार शामिल
इंस्टीट्यूट ऑफ परसेप्शन स्टडीज की रिपोर्ट में उन सभी पत्रकारों को शामिल किया गया है जो फील्ड में खबर एकत्रित करते हुए अथवा दफ्तरों में काम करते हुए कोरोना संक्रमित हुए और उनकी जान चली गई. इनमें मीडिया संस्थानों के रिपोर्टर से लेकर, स्ट्रिंगर, फ्रीलांसर, फोटो जर्नलिस्ट और सिटिजन जर्नलिस्ट तक शामिल हैं.
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55 फीसदी प्रिंट मीडिया से
कोरोना संक्रमण से मरने वाले पत्रकारों में करीब 55 फीसदी प्रिंट मीडिया से, 25 फीसदी टीवी और डिजिटल मीडिया से तथा 19 फीसदी फ्रीलांस पत्रकारिता से जुड़े थे.