वर्ष 2023 में देश की संसद द्वारा पारित किए गए तीन नए आपराधिक कानूनों को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश नवीन सिन्हा ने अपना समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि नए आपराधिक कानूनों की मदद से न्याय प्रक्रिया में तेजी आएगी और अपराधों से प्रभावी तरीके निपटा जाएगा। पूर्व न्यायाधीश ने इस बात पर जोर दिया कि इन्हें सफल बनाने के लिए न्यायाधीशों और पुलिस के लिए प्रभावी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कराने होंगे।
सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति सिन्हा ने सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी कुमार दुबे की पुस्तक ‘एंड ऑफ कोलोनियल लॉज – फ्रॉम विजन टू एक्शन’ के विमोचन के अवसर पर यह टिप्पणी की। पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि समय बदल रहा है और समय के अनुसार कानून में भी बदलाव की आवश्यकता है। उन्होंने कहा ‘कानून निर्माताओं ने महसूस किया है कि मौजूदा कानून समाज के उद्देश्यों को पूरा नहीं कर रहे हैं। इसलिए नए कानूनों की मदद से अपराधों से प्रभावी तरीके से निपटा जाएगा। इन कानूनों के कार्यान्वयन के लिए न्यायाधीशों और पुलिस को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है।’
बता दें कि 1 जुलाई से देश में तीन नए आपराधिक कानून लागू होंगे। 21 दिसंबर 2023 को नव अधिनियमित कानूनों (भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम) को संसद से मंजूरी मिल गई थी।
समारोह में भाग लेने आए भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि मोदी सरकार ने ब्रिटिश शासन के कानूनों को समाप्त कर दिया है और लोगों को त्वरित न्याय प्रदान करने के लिए तीन नए कानून लागू किए हैं। इसके अलावा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने कहा कि देश की विभिन्न अदालतों में करोड़ों मामले लंबित हैं। इसलिए नए कानूनों की मदद से न्याय देने की प्रक्रिया में तेजी आएगी।