इस्राइल के राजदूत रुवेन अजार ने बुधवार को ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई की भारत के अल्पसंख्यकों को लेकर की गई टिप्पणी की निंदा की। उन्होंने ने उनके बयान को हास्यास्पद और पाखंड करार दिया।
अजार ने कहा कि खामेनेई दूसरों को उपदेश देते हैं, जबकि ईरान खुद लोगों की आजादी को कुचलने और मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा, यह वास्तव में हास्यास्पद है कि यह कट्टर नेता दूसरों को उपदेश देने की कोशिश कर रहा है, जबकि यह अपनी ही जनता को कुचल रहा है।
खामेनेई ने सोमवार को तेहरान में एक धार्मिक सभा को संबोधित करते हुए आरोप लगाया था कि गाजा, म्यांमार और भारत में मुसलमानों का उत्पीड़न हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा था कि इस्लाम के दुश्मनों ने हमेशा हमें अपनी साझा पहचान के प्रति उदासीन बनाने की कोशिश की है।
वहीं, भारत ने सोमवार को खामनेई की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया दी और उनकी कड़ी निंदा की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि किसी भी अन्य देश को भारत में अल्पसंख्यकों पर टिप्पणी करने से पहले अपने रिकॉर्ड पर विचार करना चाहिए। मंत्रालय ने उनकी टिप्पणियों को गलतफहमी और अस्वीकार्य बताया।
अजार ने लेबनान में हाल में हुई घटनाओं का भी जिक्र किया, जहां हिजबुल्ला के हमलों के कारण लोग विस्थापित हुए हैं। उन्होंने कहा कि इस्राइल सरकार विस्थापित नागरिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत और इस्राइळ के बीच जल प्रबंधन में सहयोग पर बात करते हुए अजार ने कहा कि इस्राइल जल नवाचार में वैश्विक नेता है। उन्होंने बताया कि इस्राइल ने भारत में 32 उत्कृष्टता केंद्र बनाए हैं, जो जल प्रबंधन पर केंद्रित हैं।
उन्होंने कहा, हमारे पास ऐसी कंपनियां हैं जो भारतीय मिट्टी पर उत्पादन शुरू कर चुकी हैं, जिससे भारत के जल प्रबंधन प्रणाली में योगदान मिल रहा है।