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Friday, November 22, 2024

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भारतीय छह साल बाद मानी गईं 50 साल की दुलुबी बीबी, अवैध प्रवासी माना गया मामूली गलती के कारण

असम में कई ऐसे लोग रह रहे हैं जिन्हें दस्तावेजों की कमी के कारण खुद को भारतीय नागरिक साबित करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे ही एक मामले में महिला को छह साल तक अवैध प्रवासी होने का दंश झेलना पड़ा। लंबी जद्दोजहद के बाद 2023 में 50 साल की इस महिला को भारतीय नागरिक माना गया।

कई मतदाता सूची में नाम के बेमेल होने के कारण 2017 में असम की 50 वर्षीय दुलुबी बीबी को बांग्लादेश से आई अवैध अप्रवासी घोषित कर दिया गया। अधिकारियों ने कहा कि छह साल बाद परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर दुलुबी को भारतीय नागरिक माना गया।

अवैध प्रवासी घोषित किया गया
कछार जिले के उधारबोंड क्षेत्र की निवासी 50 वर्षीय दुलुबी बीबी को 20 मार्च, 2017 को सिलचर के विदेशी न्यायाधिकरण-3 के फैसले के तहत अवैध प्रवासी घोषित कर दिया गया। न्यायाधिकरण द्वारा निर्धारण अधिनियम के तहत 1998 के एक मामले की सुनवाई के दौरान महिला को विदेशी घोषित किया गया था। बाद में 2015 में फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल एक्ट के तहत मामले को फिर से पंजीकृत किया गया।

ट्रिब्यूनल ने माना कि महिला अवैध रूप से भारत आई
महिला के इस मामले में ट्रिब्यूनल के सदस्य बी के तालुकदार ने अपने आदेश में कहा था कि दुलुबी बीबी यह साबित करने में विफल रही कि वह और उसके पिता भारत में पैदा हुए थे। 1971 से पहले भारत के क्षेत्र में रहने का पर्याप्त प्रमाण भी नहीं दिया जा सका। ऐसे में ट्रिब्यूनल ने माना कि महिला अवैध रूप से भारत आई है।

गिरफ्तारी के आदेश, पिता-दादा के नाम अलग
ट्रिब्यूनल ने पाया कि अलग-अलग मतदाता सूचियों में भी महिला की पहचान अलग-अलग नामों से की गई थी। उनके पिता और दादा के नाम भी सही नहीं पाए गए। ट्रिब्यूनल ने पुलिस को दुलुबी बीबी को गिरफ्तार करने और हिरासत में रखने का भी आदेश दिया गया।

गौहाटी उच्च न्यायालय में फैसले को चुनौती
बाद में महिला ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। शीर्ष अदालत के निर्देश के बाद उन्हें हिरासत केंद्र से जमानत पर रिहा कर दिया गया। इस साल मई में उन्होंने फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल के साल 2017 के आदेश को गौहाटी उच्च न्यायालय में चुनौती दी।

मुफ्त कानूनी सहायता दी गई
असम के कछार में जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) से महिला को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान की गई। वकील महितोष दास को वकील नियुक्त किया। दास ने कहा कि उच्च न्यायालय ने न्यायाधिकरण को मामले की फिर से सुनवाई करने का निर्देश दिया।

1965 से पहले की मतदाता सूची
दास ने कहा, “ट्रिब्यूनल की सुनवाई के दौरान, दुलुबी बीबी ने दावा किया कि उसके पास अपने दादा के साथ संबंध साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। दादा का नाम 1965 से पहले कई मतदाता सूचियों में था।” उन्होंने कहा, उसी ट्रिब्यूनल सदस्य बी के तालुकदार ने छह साल के बाद महिला को भारतीय घोषित किया जिन्होंने 2017 में उन्हें अवैध अप्रवासी घोषित किया था।

भारतीय नागरिकों से पैदा नागरिक
वकील ने कहा कि तालुकदार महिला की तरफ से पेश सबूतों और दस्तावेजों के अलावा दलीलों से आश्वस्त हो गए। उन्होंने 50 साल की दुलुबी बीबी को भारतीय नागरिक घोषित कर दिया। तालुकदार ने इस सप्ताह की शुरुआत में जारी आदेश में कहा, “… मेरी सुविचारित राय है कि दुलुबी बीबी भारतीय धरती पर रहने वाले भारतीय नागरिकों से पैदा हुई भारत की नागरिक हैं।”

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