वायनाड भूस्खलन पीड़ितों का दर्द देख कोई चिंतित है। शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वायनाड का दौरा किया और पीड़ितों से बात की। प्रधानमंत्री भी पीड़ितों का दर्द देख परेशान थे। रविवार को केरल के वन मंत्री एके ससींद्रन तो एक पीड़ित परिवार को सांत्वना देते वक्त रो पड़े। उन्होंने पीड़ित परिवार की हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। साथ ही वायनाड के हालात पर चिंता जताई।
वायनाड का दौरा करने पहुंचे वन मंत्री एके ससींद्रन ने एक पिता-पुत्र से बात की। दोनों पिता-पुत्र एक अपने उजड़े घर को देख रहे थे। मंत्री ने दोनों से बात की और उनकी पीड़ा सुनकर भावुक हो गए। उन्होंने लड़के को सांत्वना दी और उसे गले लगा लिया। मंत्री ससींद्रन ने कहा कि जीवन में कभी नहीं सोचा था कि ऐसा नजारा देखना पड़ेगा। उन्हें क्या जवाब दूं? उनके सवालों का कोई जवाब नहीं है। उन्होंने सभी से पीड़ितों के जीवन के पुनर्निर्माण के लिए एकजुट होकर काम करने का आग्रह किया। मंत्री ने पीड़ितों को आश्वासन दिया कि पूरा राज्य और सरकार उनके साथ है।
30 जुलाई को हुए विनाशकारी भूस्खलन में अब तक 300 से ज्यादा लोगों की जान चली गई है। 197 शवों के अंग बरामद किए गए हैं, जबकि 133 लोग लापता हैं। वर्तमान में 78 लोग कई अस्पतालों में उपचाराधीन हैं। इस वक्त वायनाड जिले में 23 राहत शिविर चल रहे हैं, जिनमें 744 परिवारों के 2,243 लोग रह रहे हैं। अकेले आपदा प्रभावित क्षेत्र में 14 शिविर चल रहे हैं, जहां 642 परिवारों के 1,855 लोग रह रहे हैं। सरकार ने बताया कि इनमें 451 बच्चे और 700 महिलाए हैं।
भूस्खलन त्रासदी पीड़ितों का दर्द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्नेह पाकर छलक पड़ा। शनिवार को उन्होंने जब बच्चों के सिर पर हाथ फेरा तो उनके चेहरों पर मुस्कान खिल उठी। किसी ने पूरा परिवार खोया है तो किसी के बच्चे अब दुनिया में नहीं….पीडि़तों की आपबीती सुनकर मोदी की आंखें भी छलक उठीं। राहत शिविर में पहुंचे पीएम ने न सिर्फ लोगों को ढांढस बंधाया, बल्कि उनको भरोसा दिलाया कि उनकी हर जरूत का ख्याल सरकार रखेगी। मोदी को देखकर राहत शिविर में त्रासदी का दंश झेल चुके लोगों के चेहरे पर उम्मीद की किरण जागी। पीएम ने राहत कार्य में लगे मजदूरों से लेकर अफसरों तक, सभी का हाल पूछा और उनके कार्य की सराहना भी की। उन्होंने कहा, कि जो निष्ठा और जज्बा बचाव कार्य में दिखाया, उससे कई परिवार उजड़ने से बच गए।