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Friday, November 22, 2024

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‘शीर्ष अदालत की जिम्मेदारी SBI की गरिमा की रक्षा करना’, सिब्बल चुनावी बॉन्ड मुद्दे पर बोले

राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने रविवार को कहा कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की गरिमा की रक्षा करना शीर्ष अदालत की जिम्मेदारी है। चुनावी बॉन्ड के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि  जब संविधान पीठ फैसला सुना दे तो बैंक की याचिका को स्वीकार करना सही नहीं होगा। 

उच्चतम न्यायालय में चुनावी बॉन्ड योजना के खिलाफ वरिष्ठ वकील सिब्बल दलील पेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, एसबीआई का यह दावा कि आंकड़ों को जारी करने में कई हफ्ते लगेंगे, ऐसा लगता है कि यह किसी को बचाना चाहता है। 

सिब्बल ने कहा कि एसबीआई द्वारा चुनावी बॉन्ड विवरण का खुलासा करने के लिए समय की मांग करना बचकाना है। उन्होंने कहा कि इसकी गरिमा की रक्षा करना शीर्ष अदालत की जिम्मेदारी है। जब संविधान पीठ ने फैसला सुनाया है कि एसबीआई की याचिका को स्वीकर करना सही नहीं होगा। 

एक इंटरव्यू में सिब्बल ने कहा, यह स्पष्ट है कि एसबीआई सरकार को बचाना चाहता है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा न होता तो बैंक आगामी आम चुनाव के समय में चुनावी बॉन्ड के विवरण का खुलासा करने के लिए 30 जून तक का समय मांगने के लिए आवेदन दायर नहीं करता। 

सर्वोच्च न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की पीठ सोमवार की एसबीआई की उस याचिका पर सुनवाई करेगी, जिसमें चुनावी बॉन्ड के विवरण को जारी करने के लिए और समय की मांग की गई है। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ एक अलग याचिका पर भी सुनवााई करेगी, जिसमें चुनावी बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को दिए गए चंदे का विवारण छह मामर्च तक चुनाव आयोग को सौंपने और बैंक के खिलाफ अपवमानना की कार्रवाई शुरू करने की मांग की गई है।

सिब्बल ने कहा, एसबीआई को पता है कि चुनाव अप्रैल-मई में हैं और चुनाव की घोषणा के बाद की पूरी अवधि सार्वजनिक चर्चा का विषय होगी। उन्होंने कहा, वे (एसबीआई) समय मांग रहे हैं और कारण स्पष्ट हैं। मुझे भोरासा है कि अदालत उनकी प्रकृति देखेगी। 

उन्होंने कहा, संगठन (एसबीआई) का यह कहना बचकाना होगा कि हमें विवरण एकत्र करना होगा, फाइलें एकत्र करनी होंगी और फिर यह पता लगाना होगा कि किसने किसे धन दिया। उन्होंने कहा, यह 21वीं सदी है और हमारे प्रिय प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) हर चीज के डिजिटलीकरण के बारे में बात करते हैं। सत्तारूढ़ सरकार नहीं चाहती कि चुनाव से पहले नामों की घोषणा हो जाए। 

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