सरकार के दबाव में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा सोनिया गांधी व राहुल गांधी को पूछ-ताछ के लिए समन भेजना निश्चित रूप से राजनैतिक प्रतिशोध की कार्यवाही है। ज्ञात हो कि आज राहुल गांधी को पूछ-ताछ के लिए बुलाया गया था, इसके खिलाफ आज दिल्ली सहित पूरे देश के प्रदेश मुख्यालयों में कांग्रेस द्वारा ई0डी0 कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन किया गया। जिस क्रम में आज लखनऊ में धरना-प्रदर्शन एवं गिरफ्तारी हुई।
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उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता कृष्णकान्त पाण्डेय ने बताया कि कांग्रेसजनों द्वारा ई0डी0 कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन को रोकने के लिए कांग्रेस कार्यालय को पुलिस छावनी में उत्तर प्रदेश सरकार के तानाशाहीपूर्ण रवैये के चलते तबदील कर दिया गया था, ताकि ई0डी0 कार्यालय पर कोई पहुॅच न सके। जगह-जगह कांग्रेसजनों को पुलिस द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा था। जबकि कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा ‘मोना’ एवं मीडिया विभाग के चेयरमैन पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी सहित तमाम नेताओं को हाऊस अरेस्ट कर लिया गया था, जिसकी कांग्रेस पार्टी कठोर निन्दा करती है। क्योंकि धरना-प्रदर्शन लोकतंत्र में किसी भी राजनैतिक दल का अधिकार है। सरकार एवं प्रशासन के तमाम रोक के बावजूद भारी संख्या में कांग्रेसजनों ने ई0डी0 आफिस पहुॅंच कर धरना-प्रदर्शन किया।
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श्री पाण्डेय ने आगे बताया कि जनता की आवाज बनकर सरकार के जनविरोधी कार्यों को केवल कांग्रेस पार्टी, सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी ही उठाते हैं। उनकी आवाज को दबाने के लिए सरकार संस्थानों का उपायोग कर रही है। लेकिन कोई भी सरकार का हथकंडा इस आवाज को नहीं दबा सकता।
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श्री पाण्डेय ने बताया कि जिस केस में समन हुआ है वह एक नॉन प्राफिटेबल संस्था है, जिसमें प्राफिट का सवाल ही नहीं पैदा होता। ऐसे में मनी लॉडरिंग का केस कैसे बन सकता है? जहॉं धन का ही मामला नहीं है, वहॉं शोधन कैसे? आजादी की लड़ाई में देश की आवाज बनकर नेशनल हेरल्ड न्यूज पेपर के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। यह समाचार-पत्र और कांग्रेस को अलग भी नहीं किया जा सकता। अंग्रेजों को उखाड़ फैकने में इन्हीं का योगदान है। आज सरकार में बैठे लोग इसे इसलिए नहीं समझ सकते क्योंकि इनका दूर-दूर तक आजादी के योगदान से कोई लेना-देना नहीं है।