देश में बढ़ती हुई बेरोज़गारी का आलम यह हो गया कि इंजीनियरिंग के बाद भी रोजगार न मिलने की गारंटी नहीं है जिसके चलते इंजीनियरिंग के प्रति स्टूडेंट्स का क्रेज घट रहा है. यही कारण है कि इसकी सीटें दशक के सबसे निचले स्तर तक लुढ़क गई हैं.
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ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) के लेटेस्ट डेटा के मुताबिक अब देश भर में अंडरग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट और डिप्लोमा लेवल की इंजीनियरिंग सीटें घटकर 23.28 लाख रह गई हैं. इस साल की बात करें तो इंस्टीट्यूट बंद होने और एडमीशन कैपेसिटी में गिरावट के चलते 1.46 लाख सीटें कम हुई हैं.
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देश भर के एआईसीटीई से स्वीकृत संस्थानों में 2014-15 में करीब 32 लाख इंजीनियरिंग सीटें थीं. इंजीनियरिंग को लेकर घटते क्रेज के चलते करीब सात साल पहले कई इंजीनियरिंग कॉलेजों को बंद करने की नौबत आ पड़ी और तब से अब तक करीब 400 इंजीनियरिंग स्कूल्स बंद हो चुके हैं.
पिछले साल को छोड़कर जब कोरोना महामारी के चलते पूरी व्यवस्था गड़बड़ हो गई थी, 2015-16 से लेकर हर साल कम से कम 50 इंजीनियरिंग संस्थान बंद हुए हैं. इस साल भी 63 संस्थानों को बंद करने की एआईसीटीई से मंजूरी मिल गई है.
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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक देश भर में नए इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए एआईसीटीई का अप्रूवल भी पांच साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है.