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Saturday, July 27, 2024

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‘पीओके भारत का हिस्सा है और रहेगा’, भारत-ब्रिटेन एफटीए, UN से लेकर चीन पर विदेश मंत्री ने की बात

दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक महोत्सव की शुरुआत हो गई है। आज लोकसभा चुनाव के चौथे चरण के लिए मतदान हाे रहा है। इस बीच, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत और यूके के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) वार्ता पर बात की। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का रुख स्पष्ट है। एक दिन हम पीओके के अवैध कब्जे को खत्म करके और इसे वापस भारत में मिला देंगे।

विदेश मंत्री ने मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘हम अपनी मुद्रा यानी भारतीय रुपये में व्यापार करने पर जोर दे रहे हैं।’

भाजपा नेता जयशंकर ने कहा, ‘भारत और ब्रिटेन वर्तमान में एक मुक्त व्यापार समझौते पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और उम्मीद है कि दोनों पक्ष ऐसी सहमति पर पहुंचेंगे जो दोनों के लिए काम करेगी। हमें विश्वास है कि हम इसे आगे ले जाने की कोशिश करेंगे। हम निश्चित रूप से इसे आगे ले जाने के बारे में बहुत गंभीर हैं। मेरी उम्मीद है कि अगले कार्यकाल में अगर सब कुछ ठीक रहा तो यह हमारी व्यापार प्राथमिकताओं में से एक होगा।’

मोदी सरकार की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए जयशंकर ने कहा, ‘मोदी सरकार का रुख स्पष्ट है। वहीं संसद का प्रस्ताव भी है कि पीओके भारत का हिस्सा है, यह हमेशा भारत का हिस्सा था और यह भारत का हिस्सा होगा। हमारा लक्ष्य है कि एक दिन हम पीओके को कब्जे से मुक्त करा लेंगे और इसे वापस भारत में मिला देंगे।’

उन्होंने आगे कहा, ‘हालांकि इस मुद्दे पर विपक्ष के विचार अलग हैं। चाहे फारूक साहब हों या मणिशंकर अय्यर, वे पाकिस्तान के परमाणु हथियारों से इतने डरे हुए हैं कि वे सोचते हैं कि हमें पीओके के बारे में बात नहीं करनी चाहिए।’

वैश्विक स्तर पर लोगों का रुख भारत की ओर बढ़ा
भारत के लिए यूएनएससी सीट पर विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने कहा, ‘आज संयुक्त राष्ट्र में सुधार और भारत की उम्मीदवारी का समर्थन करने के पक्ष में लोग हैं। वैश्विक स्तर पर लोगों का रुख भारत की ओर बढ़ रहा है। हमें उम्मीद है कि वार्ता पहले की तुलना में थोड़ी अधिक गंभीर हो गई है।’

चीन को लेकर गुमराह करने की कोशिश
विदेश मंत्री ने कहा, ‘चीन ने 1958-1962 के बीच भारत की जमीन ले ली। जब आप कहते हैं कि ज़मीन चीन ने ले ली, तो कृपया समझें कि यह जमीन 1962 में कब्जाई गई थी। मुझे देश को गुमराह करने की कोशिशें दिख रही हैं। कांग्रेस 1949 में नेहरू के कार्यों और 1963 में भुट्टो के कार्यों के लिए मोदी को जिम्मेदार ठहरा रही है। लेकिन जाहिर है, उनके पास कोई सबूत नहीं है। हां, चीन से चुनौती है, हां, उसने समझौतों का उल्लंघन किया है और बड़ी संख्या में सैनिकों को सीमा पर भेजा है। लेकिन देश को इस तथ्य पर गर्व करना चाहिए कि कोविड के बावजूद, हमने जवाबी तैनाती की और सीमा पर रिकॉर्ड संख्या में सैनिकों को भेजा। वे सैनिक आज अपनी पकड़ बनाए हुए हैं। देश को सेना का समर्थन करना चाहिए, न कि उन्हें नीचा दिखाना चाहिए। अपने लोगों और आपकी ताकतों को नीचे दिखाना एक दुखद बात है। देश के बहुत से लोग इससे नाखुश हैं।’

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