मुंबई के चेंबूर में एक कॉलेज ने बुधवार को ड्रेस पॉलिसी का हवाला देते हुए कैंपस में बुर्का, हिजाब और स्कार्फ पहनकर आने पर रोक लगा दी। मामले की जानकारी के बाद कुछ छात्राओं के परिजन ने कॉ़लेज के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। वहीं, कॉलेज की प्रिंसिपल का कहना है कि इस संबंध में परिजन के साथ बैठक हुई थी और फैसले के बारे में उन्हें पहले ही बता दिया गया था।
जानकारी के मुताबिक, मामले की जानकारी के बाद कुछ छात्राओं के परिजन ने एनजी आचार्य और डीके मराठे कॉलेज गेट के सामने प्रदर्शन किया। पुलिस अधिकारियों के मौके पर पहुंचने और अभिभावकों के साथ-साथ कॉलेज अधिकारियों के समझाने के बाद स्थिति शांत हुई। बुधवार शाम तक, कॉलेज की ओर से बयान जारी कर छात्राओं के लिए कुछ सशर्त नियमों को स्पष्ट किया गया।
डीके मराठे कॉलेज की प्रिंसिपल विद्या गौरी लेले ने कहा कि कॉलेज ने इस साल एक ड्रेस कोड लागू किया है और नियमों के बारे में अभिभावकों को पहले ही बता दिया गया था। उन्होंने कहा कि 1 मई को हमने इस नई ड्रेस कोड नीति पर चर्चा करने के लिए माता-पिता के साथ एक बैठक की थी। हमने बुर्का, हिजाब, स्कार्फ और स्टिकर पर प्रतिबंध समेत हर चीज के बारे में सूचित किया था। उस वक्त ड्रेस कोड पर सभी ने सहमति जताई थी। लेकिन वे अब विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो भी छात्रा ड्रेस कोड पर आपत्ति जताती है, वह कॉलेज छोड़ने के लिए स्वतंत्र है।
इस बीच, आपत्ति जताने वाली कॉलेज की मुस्लिम छात्राओं ने कहा कि उन्हें हिजाब या बुर्का पहने बिना घर से निकलने में असहजता महसूस होती है क्योंकि यह उनके लिए एक धार्मिक प्रथा है। उन्होंने अपने आराम के लिए कम से कम स्कार्फ पहनने की अनुमति मांगी। बाद में शाम को कॉलेज ने एक बयान जारी कर कहा कि छात्राओं को उनकी सुरक्षा और सम्मान को ध्यान में रखते हुए बुर्का, हिजाब या स्कार्फ पहनकर कॉलेज आने की अनुमति दी जाएगी। हालांकि, उन्हें कक्षा में प्रवेश करने से पहले इसे वॉशरूम में उतारना होगा और शाम को कक्षा से बाहर निकलते समय इसे फिर से पहनना होगा।