सऊदी मानवाधिकार संगठन ए-एल-क्यू-एस-टी समेत अन्य कई मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि सुन्नी मुस्लिम विद्वान और प्रोफ़ेसर मूसा अल-क़रनी की आले सऊद शासन की जेल में मौत हो गई है।
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मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि क़रनी को जेल में क्रूर यातनाएं दी गईं और सऊदी अधिकारियों ने उन्हें ग़लत दवाएं देकर जानबूझकर मरने के लिए छोड़ दिया।
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ए-एल-क्यू-एस-टी ने एक ट्वीट के ज़रिए मौत के कारणों पर सवाल उठाए हैं और अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की है।
66 वर्षीय क़रनी को आले सऊद शासन की आलोचना करने और देश में सामाजिक सुधारों की मांग के आरोप में वर्ष 2007 में गिरफ़्तार किया गया था और 2011 में उन्हें 15 साल क़ैद की सज़ा सुनाई गई थी।
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सऊदी अधिकारी ऐसे कई लोगों के सिर क़लम कर चुके हैं या उन्हें जेल की सलाख़ों के पीछे धकेल चुके हैं, जिन्होंने देश में राजनीतिक सुधारों और मानवाधिकारों के लिए आवाज़ उठाई थी।
2016 में सऊदी शासन ने वरिष्ठ शिया धर्मगुरु शेख़ अल-निम्र समेत 46 विरोधियों और आलोचकों को मौत की सज़ा दी थी।