संपादक की कलम से-
वाह ! रे वाह !! सत्ताजीवियों, “बिन कुर्सी सब सून ?” देेेश कोरोना से कराह रहा है लेकिन वाह !री वाह सत्ता! इस सत्ता की मादकता ने सायद आज सत्ता लुलोभियों के अंतरात्मा को ही मार डाला है इनके हृदय में सायद मानवता को ही स्वा: कर दिया है ये हाड-मांस के सत्ताजीवी सायद इनके भीतर सिर्फ सत्ता की तृष्णा के अलावा कुछ शेष नहीं बचा है इन्हे तो बस ‘एन केन प्रकारेण’ सत्ता ही चाहिये इससे कमतर कुछ भी शेष नहीं ? क्या अब इनकी इंसानियत और मानवता की आँख का पानी बिल्कुल सूख सा गया है, इन्हे इसके अलावा कुछ और दिखता ही नहीं है? देश आज किस विषम परिस्थिति से गुज़र रहा है क्या इन्हे ये भी नहीं दिख रहा ?
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आज जो देश की हालत है क्या ये इनकी देन नहीं ? क्योंकि देश आज अचानक पहलीबार इस कोरोना को नहीं देख रहा, देश ने और जनता ने इसे पिछले वर्ष ही इसके भयावह और रौद्र रूप को देख लिया है इतना ही नहीं बहुत बडी कुर्बानी भी दे चुका है आर्थिक, शारीरिक और मानसिक हर तरह की, लेकिन जुमलेबाज़ सत्ताजीवी जिन्हे देश और जनता से कोई सरोकार नहीं ऐसा ही प्रतीत होता है, यदि ऐसा नहीं होता तो ये सत्ता की लोलुप्ता में देश और जनता की बलि नहीं चढाते, यदि इनमे किंचित मात्र भी देश भक्ति की भावना यदि इनमे होती ?
यदि ज्ञात हो तो पिछले वर्ष कोरोना से जब देश कराह रहा था तब इन्हे सत्ता की चिंता सता रही थी कि यदि कोरोना का ग्राफ ऐसे ही बढता रहा तो बिहार चुनाव का क्या होगा ? जिसके खातिर आज कोरोना टेस्टिंग की संख्या बढाने पर ज्ञान देने वाले ज्ञानी बाबा ने आज के उलट काम किया, जो टेस्टिंग लगभग 15 लाख तक जा पहुँची थी उसे उतार कर 7/7.5 लाख पर ला दिया क्योंकि उस समय भी आकडे लगभग 1 लाख के करीब जा पहुँचे थे, जबकि कई बार सुझाया भी गया कि यदि आकडों का खेल ऐसे ही किया गया तो देश वापस विषम परिस्थिति से जूझने लगेगा, लेकिन हुज़ूर कहाँ किसकी सुनने वाले, इनका तो हिसाब ही वही है कि ‘न खाता न वही, जो हम कहें वही सही’।
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इतना ही नहीं हुज़ूर तो हुज़ूर ठहरे, हुज़ूर के मंत्री जी तो कोरोना वैज्ञानिक उन्होने तो कोरोना को तो फरवरी में पूरी तरह से खत्म होने की अपने सरकारी वैज्ञानिकों की टीम के साथ ऐलान तक कर डाला था, अब बेचारे ऑन डिमाण्ड जनता के प्रकट हुए हैं तो मॉस्क और डिस्टेंस का ज्ञान बाटते फिर रहे हैं, दद्दा यदि पहले वाला ज्ञान न बांटा होता तो आज वापस ये ज्ञान बांटने की क्या जरूरत पडती ?
सत्ताजीवी यदि सत्ता की लोलुप्ता में टेस्टिंग कम न करके दो गुनी कर देते तो और इम्यून बूस्टर को कोरोना की वैक्सीन के नाम की ढपली न पीटते बल्कि इसकी सही जानकारी से रूबरू कराते कि ये मात्र इम्यून पॉवर को बूस्ट करने का काम करती है, ये कोरोना को खत्म करने की दवा या वैक्सीन नहीं है अत: सभी को अभी भी सावधानी वरतनी होगी, तो क्या जनता इतनी बुडबक है कि मौत के मूँह में जा कर कूँद जाती ? आखिर देश और जनता की बदहाली का कौन गुनहगार ? कौन है इनकी मौंत का जिम्मेदार ? बतायेंगे मेरे हुज़ूर, मेरे सरकार ?
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चुनाव आयोग से बोले- कार्यक्रम में न हो कोई बदलाव
पश्चिम बंगाल के चुनाव कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं चाहती। भाजपा ने चुनाव आयोग के सामने दलील पेश की है कि अभी तक हुए चुनाव में 61% उम्मीदवारों को जो अधिकार मिला है, वही बाकी 39 प्रतिशत उम्मीदवारों को भी मिलना चाहिए. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में अब तक चार चरणों का चुनाव हो चुका है.
ममता ने की थी मांग
बीजेपी ने चुनाव आयोग को आश्वस्त किया कि वह कोविड के सभी नियमों का पालन करेगी. गौरतलब है कि ममता बनर्जी ने बाकी सभी चरणों के चुनाव एक साथ कराने की मांग की थी. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग से कहा था कि बढ़ते कोरोना को देखते हुए बचे चार चरणों के चुनाव एक साथ करा लिए जाएं. बंगाल के चुनाव आयोग ने बाकी बचे चरणों के चुनाव को लेकर सभी पार्टियों की राय जानी है.