कर्नाटक में सत्तारूढ़ पार्टी के भीतर सियासी खींचतान के बीच मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सोमवार को कहा कि वह नेतृत्व परिवर्तन के मुद्दे पर कांग्रेस आलाकमान के फैसले का पालन करेंगे। वोक्कालिगा समुदाय के एक संत ने पिछले हफ्ते सार्वजनिक रूप से सिद्धारमैया से पद छोड़ने और उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के लिए रास्ता खाली करने का अनुरोध किया था।
विश्व वोक्कालिगा महासंस्थान मठ के संत चंद्रशेखर स्वामी की अपील के बारे में पूछे जाने पर सिद्धारमैया ने कहा, “यह ऐसा मामला नहीं है जिस पर सार्वजनिक रूप से चर्चा की जाए। आलाकमान जो भी फैसला लेगा, हम उसका पालन करेंगे।” उन्होंने कहा, “स्वामीजी क्या कहते हैं, मैं उस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता। हमारी राष्ट्रीय पार्टी है। एक हाईकमान है।”
सिद्धारमैया के करीबी माने जाने वाले कुछ मंत्रियों ने उप मुख्यमंत्री के और पद सृजित करने और उन्हें लिंगायत, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक समुदायों के नेताओं को दिए जाने की मांग की है। इसे शिवकुमार के राजनीतिक पर कतरने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले शिवकुमार वर्तमान में सिद्धारमैया सरकार में एकमात्र उप मुख्यमंत्री हैं।
विधानसभा चुनाव के बाद से मुख्यमंत्री पद के लिए खींचतान
पिछले साल मई में विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच कड़ी टक्कर थी। कांग्रेस शिवकुमार को मनाने में सफल रही और उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया गया। उस समय ऐसी खबरें थीं कि रोटेशनल सीएम के फॉर्मूले के आधार पर एक समझौता किया गया है, जिसके अनुसार ढाई साल बाद शिवकुमार मुख्यमंत्री बनेंगे। लेकिन पार्टी की ओर से आधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि नहीं की गई। शिवकुमार ने भी मुख्यमंत्री बनने की अपनी महत्वकांक्षा को किसी से छिपा कर नहीं रखा है। जबकि सिद्धारमैया ने लोकसभा चुनाव के दौरान लोगों से कांग्रेस के लिए समर्थन मांगा था, ताकि उनकी स्थिति मजबूत रहे।
सड़कों पर नहीं होगा समस्या का समाधान: प्रियांक खरगे
इस बीच, राज्य में उप मुख्यमंत्री की मांग पर कांग्रेस विधायक प्रियांक खरगे ने कहा, “लोग कुछ भी दावा करने के लिए स्वतंत्र हैं, जो वे चाहते हैं। लेकिन उन्हें सही मंच पर दावा करना चाहिए। मीडिया में आने और दावा करने का क्या मतलब है? वे आलाकमान के पास जा सकते हैं और इसके बारे में बोल सकते हैं। मुझे भरोसा कि उनकी जो भी समस्याएं हैं, उनका समाधान किया जाएगा। लेकिन अगर आप सड़कों पर ऐसा करने जा रहे हैं, तो कोई भी इसकी परवाह नहीं करेगा। आप मुख्यमंत्री पद के लिए भी दावा कर सकते हैं। कोई भी इससे इनकार नहीं कर रहा है। हमारी पार्टी के भीतर आंतरिक लोकतंत्र है। लेकिन दावा सही मंच पर किया जाना चाहिए।”
उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने क्या कहा
उधर, उप मुख्यमंत्री शिवकुमार ने कहा, “मैं उन लोगों को कारण बताओ नोटिस जारी कर रहा हूं, जिन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री से जुड़े बयान दिए हैं। इंतजार कीजिए और देखिए मैं किसे नोटिस जारी करने जा रहा हूं।”
उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के नेतृत्व वाली सरकार में नीट, नेट और शेयर बाजार भारत में सबसे बड़े घोटाले हैं और हमें संसद में बोलने की अनुमति नहीं थी। माइक बंद थे। हम बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शन करेंगे और हम इसके खिलाफ लड़ते रहेंगे। उन्होंने कहा, जहां तक नीट का सवाल है। एनआरआई सीटें सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों को दी जानी चाहिए। हमारे राज्य में 20 से ज्यादा इंजीनियरिंग कॉलेज चल रहे हैं। इससे कर्नाटक के एनआरआई छात्रों को भी फायदा होगा और कॉलेजों को भी फायदा होगा।