सेंट्रल विजिलेंस कमीशन (सीवीसी) की वार्षिक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि देश में सीबीआई द्वारा जांच किए जा रहे भ्रष्टाचार के 6841 मामले विभिन्न अदालतों में लंबित पड़े हैं। इनमें से 313 मामले 20 सालों से ज्यादा समय से अदालतों में अटके हुए हैं। 2039 मामलों में 10 साल से भी ज्यादा समय से ट्रायल लंबित चल रहे हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है, 31 दिसंबर 2022 तक देश की विभिन्न अदालतों में 2324 मामले 5-10 सालों से और 842 से ज्यादा मामले बीते 3-5 सालों से लंबित हैं। सीवीसी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भ्रष्टाचार से संबंधी 12,408 अपील या रीविजन भी विभिन्न हाईकोर्ट्स और सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। इनमें से 417 तो 20 सालों से भी ज्यादा समय से लंबित हैं।
इनमें से 688 अपील और रीविजन 15 या उससे ज्यादा सालों से लंबित हैं। 2314, दस से भी ज्यादा सालों से लंबित हैं। 4005 मामले पांच से दस सालों से लंबित हैं और 2881 मामले दो से पांच साल से लंबित है। 2103 मामले दो साल से कम समय से लंबित हैं। बता दें कि आमतौर पर सीबीआई के एक मामले की जांच में एक साल ही लगता है।
60 मामलों में जांच शुरू नहीं हो सकी
सीवीसी के अनुसार, भ्रष्टाचार से जुड़े 60 मामलों में बीते तीन सालों से जांच ही शुरू नहीं हो सकी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि सीबीआई पर बहुत ज्यादा काम के बोझ, कर्मचारियों की कमी और लेटर्स रोगेटरी के मिलने में देरी इतने मामलों के अदालत में लंबित होने की वजह है।
ग्रुप ए के अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के 52 मामले लंबित
ग्रुप ए वर्ग के अधिकारियों के खिलाफ जारी 52 मामलों में भ्रष्टाचार की जांच लंबे समय से लंबित है। वहीं ग्रुप बी और सी के 19 मामलों में जांच लंबित चल रही है। साल 2022 में ही सीबीआई ने 946 नए मामले दर्ज किए हैं, जिनमें से 829 सामान्य मामले और 117 प्राथमिक जांच से जुड़े हैं। इन 946 मामलों में से 107 मामले संवैधानिक अदालतों के आदेश से सीबीआई को मिले हैं। वहीं 30 मामले राज्य सरकारों ने सीबीआई को सौंपे हैं।