अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच का हिस्सा रहे अल्पसंख्यक समुदाय के इकलौते जज जस्टिस एस अब्दुल नजीर की आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के रूप में नियुक्ति का केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बचाव किया है। अनुराग ठाकुर ने सोमवार को कहा कि काबिल व्यक्ति को कोई भी पद दिया जा सकता है। उसकी क्षमता पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए। नजीर की नियुक्ति को लेकर एक सवाल के जवाब में सूचना और प्रसारण मंत्री ठाकुर ने यह बात कही।
कांग्रेस ने उठाए थे सवाल
कांग्रेस ने नजीर की नियुक्ति को लेकर सरकार पर हमला किया था। पार्टी ने इस तरह की नियुक्तियों के खिलाफ दिवंगत भाजपा नेता अरुण जेटली की टिप्पणी का हवाला दिया और इस कदम को न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए एक बड़ा खतरा बताया। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्विटर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली का साल 2012 का एक वीडियो टैग किया है जिसमें वह कह रहे हैं कि सेवानिवृत्ति से पहले के फैसले सेवानिवृत्ति के बाद की नौकरियों से प्रभावित होते हैं। रमेश ने वीडियो के साथ कैप्शन में लिखा, पिछले 3-4 वर्षों में निश्चित रूप से इसके पर्याप्त सबूत हैं।
हर मुद्दे का राजनीतिकरण करना कांग्रेस की आदत : भाजपा
भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एस अब्दुल नजीर की राज्यपाल के रूप में नियुक्ति को लेकर कांग्रेस की आलोचना को खारिज कर दिया। कहा कि ऐसी नियुक्तियों के पहले से उदाहरण हैं और ऐसा करना संविधान में प्रतिबंधित नहीं हैं। भाजपा के मुख्य प्रवक्ता अनिल बलूनी ने कहा कि कांग्रेस की हर मुद्दे का राजनीतिकरण करने की आदत हो गई है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्षी दल राज्यपालों की नियुक्ति के साथ भी ऐसा कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान भी न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति के बाद नियुक्ति के खिलाफ कुछ नहीं कहता है। उन्होंने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकारों ने कई मौकों पर ऐसी नियुक्तियां की हैं।
कौन हैं जस्टिस नजीर
गौरतलब है कि जस्टिस एस अब्दुल नजीर पिछले महीने चार जनवरी को रिटायर हो गए थे। जिसके बाद से ही उनके राज्यपाल बनने की संभवनाएं जताई जा रही थी। चार जनवरी को सेवानिवृत्त हुए नजीर, राजनीतिक रूप से संवेदनशील अयोध्या भूमि विवाद, तीन तलाक और निजता के अधिकार को मूल अधिकार घोषित करने सहित कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाने वाली पीठ में शामिल रहे।