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Monday, May 6, 2024

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ईडी के सामने पेश नहीं हुए तमिलनाडु के पांच कलेक्टरों को चेतावनी, शीर्ष अदालत ने कहा- मुश्किल में पड़ जाएंगे

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के पांच जिला कलेक्टरों को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वे रेत खनन मामले में समन का जवाब देने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष पेश नहीं होते तो मुश्किल में पड़ सकते हैं। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मिथल की पीठ ने ईडी के समन पर अधिकारियों के पेश नहीं होने पर आपत्ति जताई।

कमिश्न ने कहा कि इससे पता चलता है कि अधिकारियों के मन में न तो न्यायालय का सम्मान है और न ही कानून का। इस प्रकार के दृष्टिकोण की कड़ी निंदा की जाती है। न्यायालय ने उन्हें 25 अप्रैल को सभी डाटा के साथ ईडी के सामने पेश होने का आखिरी मौका दिया, क्योंकि तमिलनाडु सरकार के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि वे चुनाव कार्यों में व्यस्त थे।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने समन पर लगा दी थी रोक
शीर्ष अदालत बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ ईडी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें जिला कलेक्टरों के खिलाफ जारी समन पर रोक लगा दी थी। शीर्ष अदालत ने 27 फरवरी को बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। मंगलवार को सुनवाई के दौरान कमिश्न ने सिब्बल से कहा, हम आपके अधिकारियों से खुश नहीं हैं। उन्हें व्यक्तिगत रूप से ईडी के सामने पेश होना चाहिए और स्पष्टीकरण देना चाहिए।

संगठन के भारत नाम के खिलाफ केंद्र व विपक्ष से हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
दिल्ली हाईकोर्ट ने विपक्षी संगठन के लिए भारत (भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन) नाम के इस्तेमाल को चुनौती याचिका पर विपक्ष व केंद्र को एक सप्ताह में अपना-अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। कार्यवाहक चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने कहा कि संगठन के लिए जनहित याचिका पर जवाब देने का यह आखिरी मौका होगा। मामले की अगली सुनवाई 10 अप्रैल को होगी और उसी दिन इसका निपटारा किया जाएगा। याचिकाकर्ता गिरीश भारद्वाज के मामले में जल्द सुनवाई के आवेदन पर कोर्ट ने यह आदेश दिया।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि जनहित याचिका अगस्त 2023 में दायर की गई थी लेकिन यह अभी भी पूरी होने के चरण में है।

चुनाव कार्यक्रम की घोषणा पहले ही हो चुकी है और पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को है। याचिकाकर्ता के वकील वैभव सिंह ने कहा, विपक्षी दलों और

केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए आठ मौके दिए गए लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। इस पर कोर्ट ने कहा, सुनवाई की अगली तारीख पहले से ही 10 अप्रैल तय है। इसलिए उसने तत्काल सुनवाई की अर्जी खारिज कर दी लेकिन कहा कि विपक्षी दल और केंद्र सरकार एक सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करेंगे।

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