राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के संस्थापक शरद पवार ने रविवार को अपने प्रतिद्वंद्वियों को चेतावनी दी। उन्होंने कहा, मेरे अलावा किसी से भी पंगा ले लेना, लेकिन मुझसे नहीं। उन्होंने मतदाताओं से अपील की कि वह अजित पवार के नेतृत्व वाली पार्टी को न केवल हराएं, बल्कि उन्हें बड़ी हार दें।
शरद पवार ने 1980 में हुए एक घटनाक्रम का जिक्र किया
सोलापुर जिले के माढा में एक चुनावी रैली को संबधित करते हुए पवार ने 1980 में हुए एक घटनाक्रम का जिक्र किया, जब उनके दल के 52 विधायक मुख्यमंत्री अब्दुल रहमान अंतुले के नेतृत्व में दूसरी पार्टी में चले गए थे, जिसके कारण उन्हें विधानसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) का पद गंवाना पड़ा। पवार ने कहा कि उस समय उन्होंने किसी भी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी, बल्कि पूरे राज्य के लोगों से संपर्क किया और तीन साल तक मेहनत की। अगले चुनावों में उन्होंने उन सभी 52 विधायकों के खिलाफ युवा उम्मीदवारों को मैदान में उतारा, जो उन्हें छोड़कर चले गए थे। पवार ने कहा, मुझे महाराष्ट्र की जनता पर गर्व है, जिन्होंने उन 52 बागियों को हार का स्वाद चखाया।
‘…उन्हें न केवल हराओ, बल्कि उन्हें बड़ी हार दो’
पवार ने अपने सियासी सफर का जिक्र करते हुए कहा, मैं 1967 में 27 साल की उम्र में विधायक बना था और तब से आज तक मैंने कभी हार का सामना नहीं किया। मेरे पास अपने अनुभव हैं। 83 वर्षीय नेता ने यह भी कहा, जो लोग मुझे धोखा दे रहे हैं, उन्हें उनकी सही जगह दिखाई जानी चाहिए। उन्हें न केवल हराओ, बल्कि उन्हें बड़ी हार दो। उनके इस बयान पर चुनावी सभा में मौजूद लोगों ने उनका समर्थन किया और उनके नाम के नारे लगाए।
पिछले साल हुआ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में विद्रोह
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में पिछले साल जुलाई में विद्रोह हुआ, जब उनके भतीजे अजित पवार और आठ अन्य विधायक एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हुए। इसके बाद चुनाव आयोग के फैसले के तहत अजित पवार गुट को राकांपा (अजित पवार) नाम और घड़ी निशान मिला। जबकि शरद पवार गुट को राकांपा (शरदचंद्र पवार) नाम और ‘तुतारी बजाते हुए आदमी’ का चिह्न मिला।
अजित पवार और शरद पवार के परिवार में चुनावी मुकाबला
अभी शरद पवार गुट ने उनके पोते युगेंद्र पवार को बारामती से उम्मीदवार बनाया है, उनका मुकाबला अजित पवार से होगा। अजित पवार 1991 से बारामती के विधायक रहे हैं। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को बारामती से उम्मीदवार बनाया, जिन्होंने शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के खिलाफ चुनाव लड़ा। सुप्रिया सुले ने सुनेत्रा को इस चुनाव में आसानी से हरा दिया और तब अजित पवार ने यह माना कि उन्होंने अपनी पत्नी को उम्मीदवार बनाकर गलती की थी।