केंद्र सरकार ने सशस्त्र बलों के सभी पात्र पेंशनभोगियों को वन रैंक-वन पेंशन (ओआरओपी) योजना के बकाए के भुगतान की समय सीमा 15 मार्च, 2023 तक बढ़ाने की मांग करते हुए फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। यह दूसरी बार है जब सरकार ने समय बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है। इससे पहले जून में सरकार ने बकाए की गणना और भुगतान के लिए तीन महीने का समय मांगा था।
शीर्ष अदालत ने 16 मार्च को केंद्र के अपनाए गए ओआरओपी सिद्धांत को बरकरार रखते हुए कहा था कि यह किसी भी ‘संवैधानिक दुर्बलता’ से ग्रस्त नहीं है और बिलकुल भी मनमाना नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से तीन महीने के भीतर बकाया का भुगतान करने को कहा था। केंद्र ने अपने नए आवेदन में कहा, 16 मार्च 2022 के फैसले के तुरंत बाद रक्षा मंत्रालय के भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग (डीईएसडब्ल्यू) ने रक्षा लेखा महानियंत्रक (सीजीडीए) कार्यालय से मार्च 2022 में पेंशन के अगले संशोधन के लिए टेबल तैयार करने का अनुरोध किया था।
केंद्र ने कहा कि सीजीडीए कार्यालय ने कुछ मुद्दे उठाए थे और विभाग से स्पष्टीकरण मांगा था। मुद्दों को जल्दी से हल करने के लिए, विभाग ने संबंधित हितधारकों के साथ एक बैठक बुलाई और अप्रैल, 2022 में आवश्यक स्पष्टीकरण जारी किए गए। दोनों हितधारकों से प्राप्त टिप्पणियों को शामिल करने के बाद, एक अंतिम कैबिनेट नोट तैयार किया गया था। कैबिनेट की मंजूरी के बाद, सीजीडीए को विभिन्न प्रकार की पेंशन टेबल तैयार करने की आवश्यकता होती है, जो स्वयं में समय लेने वाली प्रक्रिया है और इसे 15 मार्च, 2023 तक और बढ़ाने की आवश्यकता है।
पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पेश किया हलफनामा
पंजाब में बढ़ रहे अवैध शराब के कारोबार के खिलाफ सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई के बारे में पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर जानकारी दी है। गुरुवार को पंजाब सरकार ने शीर्ष कोर्ट में बताया कि राज्य में आबकारी विभाग अवैध देशी शराब के निर्माण और इस्तेमाल के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चला रहा है। इन नियमित अभियानों के क्रम में राज्य में लोगों को अवैध शराब को लेकर जागरुक किया जा रहा है। सरकार ने यह भी बताया कि सरकार ही स्टेट एक्साइज फोर्स में खाली पदों को भरने जैसे कुछ अन्य दीर्घकालिक कदम भी उठा रही है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब में बढ़ते अवैध शराब के कारोबार पर चिंता व्यक्त की थी। इसके साथ ही सरकार से इस कारोबार पर लगाम लगाने के संबंध में उठाए जा रहे कदमों की जानकारी देने को भी कहा था। गुरुवार को न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अजय पाल के साथ राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार सिन्हा ने इस संबंध में उठाए गए कदमों का उल्लेख किया।
सुप्रीम कोर्ट में राज्य के आबकारी और कराधान विभाग के हलफनामे में कहा गया है कि शराब के अवैध निर्माण के खिलाफ अभियान शुरू चलाया जा रहा है। इसमें विभाग की पहले से मौजूद इनाम योजना को लोकप्रिय बनाने सहित अन्य माध्यमों से घर में बनी अवैध शराब के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाई जा रही है। हलफनामे में कहा गया है कि केबल टीवी सहित स्थानीय प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से जागरूकता युद्ध स्तर पर की जाएगी। जहां भी आवश्यक होगा, सोशल मीडिया का भी उपयोग किया जाएगा
सुप्रीम कोर्ट में राज्य के आबकारी और कराधान विभाग के हलफनामे में कहा गया है कि शराब के अवैध निर्माण के खिलाफ अभियान शुरू चलाया जा रहा है। इसमें विभाग की पहले से मौजूद इनाम योजना को लोकप्रिय बनाने सहित अन्य माध्यमों से घर में बनी अवैध शराब के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाई जा रही है। हलफनामे में कहा गया है कि केबल टीवी सहित स्थानीय प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से जागरूकता युद्ध स्तर पर की जाएगी। जहां भी आवश्यक होगा, सोशल मीडिया का भी उपयोग किया जाएगा
शीर्ष अदालत में दायर एक अलग हलफनामे में बताया कि पंजाब आबकारी अधिनियम, 1914 के तहत दर्ज मामलों की जांच की निगरानी के लिए राज्य स्तर पर एक अधिकारी को नामित किया गया है। यह अधिकारी महानिरीक्षक रैंक के पुलिस अधिकारी होगा।