देशभर में नीट-यूजी परीक्षाओं में धांधली को लेकर हंगामा मचा हुआ है। उधर, विपक्ष भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ मुखर हो गया है। इस बीच केंद्र सरकार ने हाल ही में अधिसूचित किए गए पेपर लीक विरोधी कानून के नियमों के बारे में जानकारी दी है।
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (एनआरए) को कंप्यूटर आधारित परीक्षाओं के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने का आदेश दिया गया है। इसके अलावा एनआरए को परीक्षा से पहले, परीक्षा के दौरान और परीक्षा के बाद की गतिविधियों के लिए नियम तैयार करने के निर्देश दिए हैं। एनआरए को परीक्षार्थियों की स्क्रीनिंग के लिए ऑनलाइन परीक्षा आयोजित करने का भी आदेश दिया गया है।
नए नियमों के तहत सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण को सरकारी संगठनों के सेवारत या सेवानिवृत्त कर्मचारियों की सेवाएं लेने की अनुमति दी गई है। बताया गया है कि परीक्षाओं से सफल संचालन के लिए सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण द्वारा एक समिति का गठन किया जा सकता है। समिति की अध्यक्षता संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी द्वारा की जाएगी। इस समिति में सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण से एक वरिष्ठ अधिकारी और एक नामित अधिकारी को शामिल किया जा सकता है।
10 साल की कैद से लेकर 1 करोड़ के जुर्माने का प्रावधान
लोक सेवा आयोग (यूपीएससी), कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी), रेलवे, बैंकिंग भर्ती परीक्षाएं और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की परीक्षाओं में धांधली को रोकने के लिए इस कानून को लागू किया गया है। इस कानून के लागू होने के बाद अब पेपर लीक करने का दोषी पाए जाने पर 10 साल तक की कैद से लेकर 1 करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।
पेपर लीक या गड़बड़ी पर तीन से पांच साल की कैद
इस कानून के तहत, पेपर लीक करने या आंसर शीट के साथ छेड़छाड़ करने पर कम से कम तीन वर्ष जेल की सजा होगी। इसे 10 लाख तक के जुर्माने के साथ पांच वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। जुर्माना अदा न करने की स्थिति में भारतीय न्याय संहिता, 2023 के प्रावधानों के अनुसार कारावास की अतिरिक्त सजा दी जाएगी।
सर्विस प्रोवाइडर के दोषी होने पर लगेगा 1 करोड़ का जुर्माना
परीक्षा संचालन के लिए नियुक्त सर्विस प्रोवाइडर अगर दोषी होता है तो उस पर 1 करोड़ रुपये तक जुर्माना होगा। सर्विस प्रोवाइडर अवैध गतिविधियों में शामिल है, तो उससे परीक्षा की लागत वसूली जाएगी। साथ ही, सेवा प्रदाता को 4 साल की अवधि के लिए किसी भी सार्वजनिक परीक्षा के संचालन की जिम्मेदारी से भी रोका जा सकता है। यदि कोई संस्था संगठित अपराध करने में शामिल है, तो उसकी संपत्ति कुर्की और जब्ती के अधीन होगी और परीक्षा की आनुपातिक लागत भी उससे वसूली जाएगी।
यह विभिन्न निकायों द्वारा आयोजित की जाने वाली भर्ती परीक्षाओं में धांधली के खिलाफ पहला राष्ट्रीय कानून है। बता दें कि सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक को इस वर्ष 9 फरवरी को राज्यसभा द्वारा पारित किया गया था। इसके बाद 6 फरवरी को इस विधेयक को लोकसभा में पारित किया गया था। इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 12 फरवरी को विधेयक को मंजूरी देकर इसे कानून में बदल दिया था।