– रवि जी. निगम
सरकार पर सवालिया निशान – क्या कृषि कानून पर किसान नहीं बिचौलिये या ऐजेन्ट कर रहे हैं राजनीति या धरना प्रदर्शन ? तो संत बाबा राम सिंह ने राजनीतिक लाभ के लिये उनके समर्थन में कर ली आत्महत्या ? क्या चन्द किसान नेता जो सरकार के पक्ष में खड़े हैं तो वही सम्पूर्ण भारत के किसान नेता ? तो देश में लाखो किसान जो कप-कपाती ठण्ड में प्रदर्शन कर रहे वो सब बिचौलिये या ऐजेन्ट ? तो क्या देश में किसान कम बिचौलिये या ऐजेन्ट ज्यादा ? क्या देश में नया कानून लागू ? कि खाता न वही, जो सरकार कहे वही सही ? जय हो बाबा त्रिपुरारी की ….
नई दिल्ली – बुधवार को किसान आंदोलन के दौरान नए कृषि कानून को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ संत बाबा राम सिंह ने करनाल में बॉर्डर के पास खुद को गोली मार आत्महत्या कर ली। जिससे उनकी मौत हो गई। खबरों के मुताबिक संत बाबा राम सिंह किसानों को लेकर सरकार के रवैये से काफी आहत थे।
जैसा कि खबरों ज्ञात हो रहा है कि संत बाबा राम सिंह के पास से सुसाइड नोट बरामद हुआ है। बाबा पिछले कई दिनों से किसानों के इस आंदोलन में शामिल थे। इतना ही नहीं उन्होंने शिविर में कंबल भी बांटे थे। खबरों के अनुसार जो सुसाइड नोट बाबा राम सिंह के पास से मिला है उसमें लिखा है कि वो इतने आहत थे वो किसानों की ऐसी हालत नहीं देख सकते हैं। उन्होंने नोट में लिखा है कि ‘केंद्र सरकार किसानों के विरोध को लेकर किसी तरह का कोई ध्यान नहीं दे रही है, अतः वो किसानों और उनके बच्चों एवं महिलाओं को लेकर भी चिंतित हैं।’
जैसा कि विदित है कृषि कानूनों के खिलाफ किसान 21 दिनों से दिल्ली बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच किसानों और सरकार के मध्य कई दौरों की वार्ता भी हो चुकी है। हालांकि सभी वार्तायें बेनतीजा ही रहीं। किसानों की मांग है कि तीनों कानूनों को सरकार रद्द करे, सरकार ऐसा करने को तैयार नहीं है तो वहीं किसान भी अपनी जिद्द पर अड़े हैं। वहीं, बुधवार को सरकार को संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से लिखित में जवाब दिया गया है। साथ ही सरकार से किसान मोर्चा ने अपील की है कि सरकार उनके आंदोलन को बदनाम करने का काम ना करें, यदि बात करनी है तो सभी किसानों से एक साथ मिलकर बात करें।