नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण से राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह का निधन हो गया है. पार्टी के नेता और उनके बेटे जयंत चौधरी ने ट्विटर पर इसकी जानकारी दी. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि ‘चौधरी साहब नहीं रहे’. वह कोरोना संक्रमित थे.
निडर, निष्पक्ष, निर्भीक चुनिंदा खबरों को पढने के लिए यहाँ >> क्लिक <<करें
कोरोना संक्रमण से रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह का निधन
आरएलडी प्रमुख चौधरी अजित सिंह 22 अप्रैल को कोरोना संक्रमित हुए थे. इसके बाद से ही उनके फेफड़े में संक्रमण तेजी से बढ़ रहा था. मंगलवार रात अजित सिंह की तबीयत ज्यादा खराब हो गई थी. इसके बाद उन्हें गुरुग्राम के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
राजनीतिक सफ़र
चौधरी अजित सिंह ने साल 1986 में राजनीति में एंट्री ली थी. अजित सिंह के पिता पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह बीमार पड़ गए थे और उसके बाद 1986 में राज्यसभा भेजे गए थे. साल 1987 से 1988 तक वह लोकदल (ए) और जनता पार्टी के अध्यक्ष भी रहे हालांकि ऐसा माना जाता था कि वे अपने पिता की छाया से कभी बाहर नहीं आ पाए.
अधिक महत्वपूर्ण जानकारियों / खबरों के लिये यहाँ >>क्लिक<< करें
साल 1989 में अजित सिंह ने अपनी पार्टी का जनता दल में विलय कर दिया और महासचिव बन गए. 1989 में अजित सिंह पहली बार बागपत से लोकसभा चुनाव जीते थे. इसके बाद वीपी सिंह सरकार में उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया था. साल 1991 में वे एक बार फिर बागपत से लोकसभा चुनाव जीते और नरसिम्हाराव की सरकार में भी मंत्री बने. साल 1996 में वह तीसरी बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा पहुंचे, हालांकि बाद में उन्होंने इस सीट से इस्तीफ़ा दे दिया था.
साल 1997 में अजित सिंह ने राष्ट्रीय लोकदल की स्थापना की और इसके बाद 1997 के उपचुनाव में बागपत से फिर लोकसभा चुनाव जीता. साल 1998 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. हालांकि 1999 के चुनाव में वे फिर जीते और लोकसभा पहुंचे. साल 2001 से 2003 तक उन्होंने बीजेपी का दामन थामा और अटल बिहारी सरकार में मंत्री रहे. बाद में साल 2011 में वह यूपीए का हिस्सा बन गए. साल 2011 से 2014 तक वह मनमोहन सरकार में मंत्री रहे.
‘लोकल न्यूज’ प्लेटफॉर्म के माध्यम से ‘नागरिक पत्रकारिता’ का हिस्सा बनने के लिये यहाँ >>क्लिक<< करें
अजित सिंह को तब बड़ा झटका लगा जब साल 2014 में वह मुजफ्फरनगर सीट से लोकसभा चुनाव हार गए. इसके बाद साल 2019 में भी अजित मुजफ्फरनगर से लड़े लेकिन बीजेपी के संजीव बलियान के हाथों हार का सामना करना पड़ा. 2013 में हुए मुजफ्फरनगर के दंगों ने आरएलडी की राजनीति को काफी नुकसान पहुंचाया था. इन दंगों ने रालोद के मशहूर जाट-मुस्लिम समीकरण को ध्वस्त कर दिया.