लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है। बढ़-चढ़कर प्रचार किया जा रहा। कोई जाति तो कोई धर्म के नाम पर वोट लेने की कोशिश में लगा हुआ है। वहीं, पीएम मोदी के गृह राज्य गुजरात में 35 मुस्लिम उम्मीदवार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि, दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस ने इस बार अपनी परंपरा को तोड़ते हुए इस समुदाय के एक शख्स को भी टिकट नहीं दिया।
इस पूरे मामले पर कांग्रेस ने दलील दी। उसका कहना है कि भरूच लोकसभा सीट, जहां से वह हर बार एक मुस्लिम उम्मीदवार उतारती थी, इस बार विपक्षी गठबंधन के बीच सीट बंटवारे के समझौते के चलते आम आदमी पार्टी (आप) को दे दी गई है। राष्ट्रीय दलों में केवल बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने राज्य में सात मई को होने वाले चुनाव में गांधीनगर से एक मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। बसपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में पंचमहल से भी मुस्लिम उम्मीदवार उतारा था।
2019 की तुलना में काफी कम
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, इस बार गुजरात की 26 में से 25 सीटों पर होने वाले लोकसभा चुनावों में 35 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में हैं, जबकि 2019 में इस समुदाय से 43 उम्मीदवार मैदान में थे। समुदाय के अधिकांश उम्मीदवार या तो निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं या कम चर्चित दलों ने उन्हें मैदान में उतारा है।
गुजरात कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष वजीरखान पठान ने कहा, ‘पार्टी राज्य में लोकसभा चुनावों में मुस्लिम समुदाय से कम से कम एक उम्मीदवार को मैदान में उतारती थी। पर इस बार यह इसलिए संभव नहीं हो सका क्योंकि यह सीट आप के खाते में गई है।’
उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस ने गुजरात में एक सीट से उम्मीदवार उतारने की पेशकश की थी लेकिन जीत की संभावना कम होने की वजह से समुदाय के सदस्यों ने इससे इनकार कर दिया। पठान ने कहा कि किसी अन्य सीट से मुस्लिम उम्मीदवार के चुनाव लड़ने की कोई गुंजाइश नहीं है। अहमदाबाद पश्चिम और कच्छ में मुस्लिम आबादी वाली दो सीटें अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं।
बता दें, भरूच के अलावा कांग्रेस ने अतीत में नवसारी और अहमदाबाद (जब इसे अहमदाबाद पूर्व और पश्चिम सीटों में विभाजित नहीं किया गया था) से मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था।