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Friday, April 26, 2024

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चंडीगढ़ प्रशासन को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा- इससे शहर के ‘फेफड़ों’ को नुकसान

सुप्रीम कोर्ट ने ने ‘कोरबुसियन चंडीगढ़’ को विकसित करने के पहले चरण के दौरान आवासीय इकाइयों के ‘अपार्टमेंटलाइजेशन’ (रिहाइशी इमारतों का निर्माण) पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने इस मुद्दे पर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के नवंबर 2021 के फैसले को चुनौती देने वाली अपीलों पर अपना फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने इस मुद्दों पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को चंडीगढ़ प्रशासन को फटकार लगाते हुए कहा कि इससे शहर के ‘लंग्स’ को नुकसान पहुंचेगा। 

अदालत ने इस सुनवाई के दौरान केंद्र और राज्यों में विधायिका, कार्यपालिका और नीति निर्माताओं से शहरी विकास की अनुमति देने से पहले पर्यावरणीय प्रभाव आकलन अध्ययन करने के लिए आवश्यक प्रावधान करने को भी कहा। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह जरूरी है कि सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच एक उचित संतुलन बनाया जाए।
इस दौरान शीर्ष अदालत ने इस पर गौर किया कि चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश (UT) बना दिया गया था  और इसे पंजाब और हरियाणा राज्यों की राजधानी बनाया गया। तब यह कहा गया था कि शहर को दो चरणों में विकसित किया जाएगा – चरण- I में सेक्टर 1 से 30 और चरण – II में सेक्टर 31 से 47 हैं।

चंडीगढ़ प्रशासन को लगाई फटकार
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने भवन निर्माण योजनाओं को आंख बंद करके मंजूरी देने के लिए चंडीगढ़ प्रशासन को फटकार लगाई। पीठ ने यह भी कहा कि यह साफ है कि वे एक आवासीय इकाई को तीन अपार्टमेंट में परिवर्तित कर रहे हैं।

पीठ ने इस मुद्दे पर 131 पन्नों में फैसला सुनाया है। इसमें अदालत ने कहा है कि इस तरह की बेतरतीब वृद्धि चंडीगढ़ के विरासत की स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है, जिसे यूनेस्को के विरासत शहर के रूप में अंकित करने की मांग की गई है।

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को दी गई ‘सुप्रीम’ चुनौती
शीर्ष अदालत ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के नवंबर 2021 के फैसले को चुनौती देने वाली अपीलों पर अपना फैसला सुनाया। हाई कोर्ट के फैसले में कहा गया था कि पंजाब की राजधानी (विकास और विनियम) अधिनियम, 1952 के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं था।   

हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि आवंटी द्वारा किसी भवन या साइट के बाहर शेयरों की बिक्री वर्जित नहीं थी। सामान्य नागरिक कानून के तहत इसकी अनुमति थी।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया यह फैसला
इस मामले में शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि चंडीगढ़ हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी द्वारा अनुमोदित किए बिना चरण -1 में पुनर्वितरण की अनुमति देना, जिसका “कोरबुसियन चंडीगढ़” होने के कारण विरासत मूल्य है, चंडीगढ़ मास्टर प्लान (सीएमपी) 2031के विपरीत है। 

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