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Sunday, May 5, 2024

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जहरीली हवा से दिल्ली वालों को मिलेगी राहत! राजधानी में करेगा आर्टिफिशियल बारिश IIT कानपुर

हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पराली जलाने और मानसून के बाद वातावरण में बरकरार नमी के चलते दिल्ली और उससे सटे उत्तर प्रदेश के शहरों में हवा दमघोंटू हो चुकी है।

एयर क्वालिटी (Air Quality) के बदतर हाल में पहुंच जाने के चलते लोगों का सांस लेना मुश्किल हो रहा है। उत्तर प्रदेश नौ शहरों की हवा सबसे ज्यादा खराब दशा में पहुंच गयी है और इनमें ज्यादातर शहर दिल्ली के आसपास हैं। उत्तर प्रदेश में सबसे खतरनाक स्तर पर एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) गाजियाबाद, ग्रेटर नोयडा और नोएडा में हो गया है।

इस बीच इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी (IIT-Kanpur) कानपुर ने दिल्ली में कृत्रिम बारिश (Artificial Rain) कराने का प्रस्ताव रखा है जो कि लोगों को खराब हवा से पैदा हालात से राहत दिलाने का काम करेगी।

आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों का कहना है कि बादलों के जरिए कराई जाने वाली कृत्रिम बारिश से हवा में मौजूद प्रदूषणकारी तत्वों और धूल को साफ करने में मदद मिलेगी और हवा की क्वालिटी बेहतर होगी।

परिवहन मंत्री गोपाल राय ने आईआईटी कानपुर से किया संपर्क 

कृत्रिम बारिश के सिलसिले में दिल्ली सरकार में परिवहन मंत्री गोपाल राय ने आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर मणीन्द्र अग्रवाल से संपर्क किया है।

गौरतलब है कि आईआईटी कानपुर बीते कुछ वर्षों से कृत्रिम बारिश को लेकर प्रयोग कर रहा है और इसी साल जुलाई में इसका सफलतापूर्वक संचालन भी कर चुका है। कृत्रिम बारिश को लेकर दिल्ली सरकार को केंद्र सरकार के कई विभागों से जरूरी अनुमतियां लेनी होगी जिसमें डायरेक्टर जनरल सिविल एविएशन (डीजीसीए) प्रमुख है।

उत्तर प्रदेश के 9 शहरों का भी बुरा हाल

इस बीच उत्तर प्रदेश के नौ शहरों की हवा सबसे ज्यादा जहरीली पाई गई है। इनमें ग्रेटर नोयडा, नोयडा, गाजियाबाद, मेरठ और हापुड़ शामिल हैं। इन शहरों में सबसे ज्यादा खराब हवा ग्रेटर नोयडा की पाई गई है जहां मंगलवार के एक्यूआई 441 था जबकि नोयडा में यह 348 के स्तर पर था। मंगलवार को गाजियाबाद में एक्यूआई 338 वहीं मेरठ में यह 333 के स्तर पर था।

हालांकि उत्तर प्रदेश में मौसम विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगले 48 घंटों में खराब हवा के मामले में कुछ राहत जरूर मिल सकती है। उनके मुताबिक उत्तरी पश्चिमी हवाएं चल सकती हैं जो कि अपने साथ प्रदूषण पैदा करने वाले कणों को उड़ा ले जाएंगी।

बेहतर एक्यूआई के लिए बारिश होना बहुत जरूरी

उनका अनुमान हैं कि अगले पांच से सात दिनों तक लगातार कम से कम 10 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चलेंगी। इससे वातावरण का प्रदूषण करीब 50 फीसदी तक घट सकता है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि हवा में मौजूद प्रदूषण से पूरी तरह से निजात पाने के लिए और बेहतर एक्यूआई के लिए बारिश होना बहुत जरूरी है।

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