नवंबर महीने की शुरुआत के साथ ही पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में धान की फसलों की कटाई तेज रफ्तार पकड़ चुकी है। पंजाब के लिए खुशहाली लेकर आने वाला यह समय दिल्लीवालों के लिए एक आपातकाल की तरह होता है, क्योंकि यही वह वक्त होता है जब राजधानी में वायु प्रदूषण अपने चरम पर पहुंच जाता है। इस प्रदूषण में पराली जलाने से पैदा हुए धुएं का सबसे बड़ा योगदान माना जाता है। पराली जलाने से निकलने वाली हानिकारक गैसें और धुआं हवा के साथ दिल्ली तक पहुंचते हैं। इस समय हवा की गति धीमी होने के कारण धुएं के कण लंबे समय तक दिल्ली के आसमान में छाए रहते हैं और गंभीर प्रदूषण का कारण बनते हैं।
वायु गुणवत्ता और मौसम की स्थिति
एक्यूवेदर की जानकारी के अनुसार, रविवार शाम से मंगलवार तक वायु गुणवत्ता की स्थिति और बिगड़ सकती है। इसके बाद के दो हफ्तों तक भी हवा की गुणवत्ता में सुधार की संभावना नहीं है। पराली जलाने, बारिश की कमी और हवा की धीमी गति का संयुक्त असर दिल्ली में गंभीर प्रदूषण के रूप में देखने को मिल सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि सांस से जुड़ी बीमारियों वाले लोगों के लिए यह समय बेहद मुश्किल साबित हो सकता है।
राजधानी में पिछले दस दिनों में पांच दिन औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 300 अंक से ऊपर दर्ज किया गया है, जबकि कई इलाकों में यह 400 से 500 के बीच पहुंच गया — जो “गंभीरतम श्रेणी” में आता है। पर्यावरणविदों का कहना है कि आने वाले 15–20 दिन वायु प्रदूषण के लिहाज से बेहद संवेदनशील रहेंगे।
हवा और बारिश से राहत की उम्मीद नहीं
मौसम पूर्वानुमान के अनुसार, दिल्ली और आसपास के इलाकों में फिलहाल बारिश की संभावना नहीं है। हवा की गति 3 से 5 मीटर प्रति सेकंड के बीच रहने का अनुमान है, जो प्रदूषण को फैलाने के लिए पर्याप्त नहीं है। इससे हवा में मौजूद जहरीले तत्व स्थिर बने रहेंगे और वायु गुणवत्ता और बिगड़ सकती है।
पराली जलाने की घटनाएं
आईएआरआई के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 15 सितंबर से 25 अक्टूबर के बीच सबसे ज्यादा 734 पराली जलाने की घटनाएं उत्तर प्रदेश में दर्ज की गईं। पंजाब में 561 घटनाएं हुईं, जबकि पिछले साल यह संख्या 1678 थी। दिल्ली में सिर्फ 3 घटनाएं दर्ज की गईं। विशेषज्ञों का कहना है कि रोकथाम के प्रयास जारी हैं, लेकिन उनका असर सीमित रहा है।
राजनीतिक टकराव बढ़ा
वायु प्रदूषण को लेकर भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। आप पार्टी ने भाजपा पर प्रदूषण रोकने के लिए ठोस कदम न उठाने का आरोप लगाया, जबकि दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि “आप सरकार ने 11 सालों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए कोई ठोस काम नहीं किया।” उन्होंने दावा किया कि अगर समय पर कदम उठाए गए होते, तो आज दिल्ली को ऐसे हालात नहीं झेलने पड़ते।
विशेषज्ञों की चेतावनी
पर्यावरण विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि नवंबर के अगले दो हफ्ते दिल्ली के लिए “सबसे खतरनाक” साबित हो सकते हैं। पराली का धुआं, ठंडी हवा और वाहन उत्सर्जन मिलकर राजधानी की हवा को और जहरीला बना देंगे।

