देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में द्रौपदी मुर्मू ने शपथ ले ली है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने उन्हें शपथ दिलाई। द्रौपदी मुर्मू देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं, सर्वोच्च संवैधानिक पद संभालने वाली पहली आदिवासी महिला और स्वतंत्र भारत में पैदा होने वाली पहली राष्ट्रपति हैं।
64 वर्षीय द्रौपदी मुर्मू ने देश की नई राष्ट्रपति बनने के लिए निर्वाचक मंडल सहित सांसदों और विधायकों के मतपत्रों की मतगणना में 64 प्रतिशत से अधिक मान्य मत हासिल किए थे। विपक्ष के कैंडिडेट यशवंत सिन्हा के खिलाफ उन्होंने भारी अंतर से जीत हासिल की। निर्वाचन अधिकारी पी. सी. मोदी ने बताया कि उन्हें सिन्हा के 3,80,177 मतों के मुकाबले 6,76,803 मत हासिल हुए थे।
केरल के एक विधायक को छोड़कर सभी विधायकों ने सिन्हा को वोट दिया जबकि मुर्मू को आंध्र प्रदेश से सभी मत मिले। वह स्वतंत्रता के बाद पैदा होने वाली पहली राष्ट्रपति होंगी और शीर्ष पद पर काबिज होने वाली सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति होंगी। वह राष्ट्रपति बनने वाली दूसरी महिला भी हैं।
शपथ ग्रहण के बाद उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई। अपने संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने अपनी जीत को भारत के गरीबों, दलितों और आदिवासियों की जीत बताते हुए उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति पद पर पहुंचना मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, यह भारत के हर गरीब की उपलब्धि है। मुझे इस बात की संतुष्टि है कि जो लोग वर्षों से विकास से वंचित थे। गरीब, दलित, पिछड़े, आदिवासी- मुझे अपने प्रतिबिंब के रूप में देख सकते हैं। मेरे नामांकन के पीछे गरीबों का आशीर्वाद है, यह करोड़ों महिलाओं के सपनों और क्षमताओं का प्रतिबिंब है। “
अपनी जिंदगी और राजनीति के सफर के बारे में चर्चा करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, “मैं ओडिशा में अपने गांव की पहली महिला हूं, जिसने कॉलेज में दाखिला लिया। यह संयोग ही है कि मेरा राजनीतिक जीवन उस समय शुरू हुआ जब देश अपनी आजादी की 50वीं वर्षगांठ मना रहा था और आज आजादी के 75वें साल में मुझे एक नई जिम्मेदारी मिली है।”
उन्होंने कहा, “मैं देश की पहली राष्ट्रपति हूं, जिसका जन्म स्वतंत्र भारत में हुआ था। स्वतंत्र भारत के नागरिकों के साथ हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए हमें अपने प्रयासों में तेजी लानी होगी “