पुणे कार हादसे के मामले में पुलिस ने आरोपी नाबालिग का खून का नमूना बदलने वाले डॉक्टरों की सात दिन की पुलिस हिरासत मांगी है। हादसे के वक्त नाबालिग नशे में था या नहीं, यह पता लगाने के लिए उसके खून का नमूना लिया गया था। पुलिस ने कोर्ट को बताया कि आरोपी डॉक्टरों ने नाबालिग के खून के नमूने एक महिला के खून के नमूने से बदल दिए थे। पुलिस ने आरोपी डॉक्टरों के खिलाफ भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत मामला दर्ज किया है। गुरुवार को अदालत में पेश कर पुलिस ने कोर्ट से दोनों आरोपी डॉक्टरों की सात दिन की हिरासत देने की मांग की।
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि पुलिस में जांच में पता चला है कि आरोपी डॉक्टरों ने ससून अस्पताल में नाबालिग के खून के नमूने को उसकी मां के खून के नमूने से बदल दिया था। साथ ही कार में सवार अन्य दो लोगों के खून के नमूने भी उनके भाई और पिता के खून के नमूनों से बदल दिए गए थे। मेडिकल एजुकेशन विभाग की तीन सदस्यों की टीम ने इस मामले में एक जांच रिपोर्ट तैयार की है, जिसे सरकार को सौंप दिया गया है। 19 मई को नाबालिग कथित तौर पर तेज गति से पोर्श कार से जा रहा था। इस दौरान नाबालिग शराब के नशे में था और उसने नशे की हालत में एक बाइक को टक्कर मार दी थी। इस टक्कर के चलते एक युवक और युवती की मौत हो गई थी। हादसे के वक्त कार में चार लोग सवार थे, जिनमें कार का ड्राइवर नाबालिग और उसके दो दोस्त शामिल थे। आरोप है कि हादसे के वक्त नाबालिग कार चला रहा था।
डॉ. तवारे और डॉ. हलनोर पर लगे आरोप
हादसे के बाद नाबालिग के खून के नमूने लिए गए थे। पुलिस जांच में पता चला कि आरोपी नाबालिग के खून के नमूने ससून अस्पताल के दो डॉक्टरों ने पैसों के लालच में बदल दिया था। नाबालिग के ब्लड सैंपल को कूड़ेदान में फेंक दिया गया था। इस मामले में ससून अस्पताल के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. अजय तवारे पर आरोप लगे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जांच में पता चला है कि आरोपी नाबालिग के पिता ने डॉ. तवारे को हादसे के बाद कई बार फोन किया था। माना जा रहा है कि दोनों के बीच खून का नमूना बदलने को लेकर ही बातचीत हुई होगी। डॉ. तवारे ने डॉ. श्रीहरि हलनोर को ब्लड सैंपल बदलने का निर्देश दिया और किसी अन्य व्यक्ति के ब्लड सैंपल को फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया था।