पाकिस्तान की एक आतंकवाद निरोधी अदालत (एटीसी) ने पिछले साल पंजाब प्रांत में एक हिंदू मंदिर पर हमला करने के मामले में बुधवार को 22 लोगों को पांच-पांच साल जेल की सजा सुनाई।
निडर, निष्पक्ष, निर्भीक चुनिंदा खबरों को पढने के लिए यहाँ >> क्लिक <<करें
जुलाई 2021 में लाहौर से लगभग 590 किलोमीटर दूर रहीम यार खान जिले के भोंग शहर में एक आठ वर्षीय हिंदू लड़के द्वारा एक मुस्लिम मदरसा को कथित रूप से अपवित्र करने की प्रतिक्रिया में गणेश मंदिर पर सैकड़ों लोगों ने हमला किया।
गुस्साई भीड़ ने हथियार, लाठी और बांस लेकर मंदिर में तैनात पुलिसकर्मियों पर हमला किया और मंदिर के एक हिस्से में तोड़फोड़ की और उसे जला दिया। हमलावरों ने मंदिर को अपवित्र करते हुए मूर्तियों, दीवारों, दरवाजों और बिजली के फिटिंग को भी क्षतिग्रस्त कर दिया था।
गिरफ्तार किए गए 84 संदिग्धों का ट्रायल पिछले सितंबर में शुरू हुआ था जो पिछले सप्ताह समाप्त हुआ था।
अधिक महत्वपूर्ण जानकारियों / खबरों के लिये यहाँ >>क्लिक<< करें
एक अधिकारी ने जानकारी दी, “बुधवार को, एटीसी न्यायाधीश (बहवलपुर) नासिर हुसैन ने फैसला सुनाया। न्यायाधीश ने 22 संदिग्धों को पांच-पांच साल कैद की सजा सुनाई, जबकि बाकी 62 लोगों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।’
न्यायाधीश द्वारा फैसला सुनाए जाने से पहले सभी संदिग्धों को नई सेंट्रल जेल बहावलपुर से कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत में लाया गया।
अधिकारी ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा फुटेज के रूप में प्रासंगिक सबूत पेश करने और गवाहों के खिलाफ गवाही देने के बाद अदालत ने 22 आरोपियों को सजा सुनाई।
शीर्ष अदालत के आदेश पर सरकार ने पहले संदिग्धों से 10 लाख पीकेआर (5,300 अमेरिकी डॉलर) से अधिक मुआवजा वसूल किया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया।
‘लोकल न्यूज’ प्लेटफॉर्म के माध्यम से ‘नागरिक पत्रकारिता’ का हिस्सा बनने के लिये यहाँ >>क्लिक<< करें
तब पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश गुलज़ार अहमद ने खेद व्यक्त किया कि गणेश मंदिर में बर्बरता ने देश को शर्मसार कर दिया क्योंकि पुलिस ने मूक दर्शकों की तरह काम किया।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “कल्पना कीजिए कि अपवित्रता की घटना ने हिंदू समुदाय के सदस्यों को कितनी मानसिक पीड़ा दी थी।”
पाकिस्तान की संसद ने भी एक प्रस्ताव पारित कर मंदिर हमले की निंदा की थी।