सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकारों द्वारा कांवड़ मार्ग पर स्थित दुकानदारों को नामपट्टिका लगाने के आदेश पर अंतरिम रोक जारी रखी है। कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजनालयों के मालिकों के नामपट्टिका लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने 22 जुलाई के आदेश को जारी रखा है। 22 जुलाई को कोर्ट ने कहा था कि दुकानदारों को अपना नाम बताने की जरूरत नहीं है। वे सिर्फ यह बताएं कि उनके पास कौन-से और किस प्रकार के खाद्य पदार्थ उपलब्ध हैं।
यूपी, एमपी, उत्तराखंड सरकार ने आदेश में क्या कहा था?
आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में कांवड़ यात्रा के दौरान भोजनालयों के मालिकों और कर्मचारियों की नामपट्टिका लगाने का आदेश जारी किया गया था। इसके बाद विपक्ष ने तीनों राज्यों की सरकारों के आदेश पर आपत्ति जताई थी। विपक्ष ने इस फैसले को समाज को विभाजित करने वाला और मुस्लिमों से पक्षपात करने वाला आदेश करार दिया था। इसके बाद देश की सर्वोच्च अदालत ने इसे लेकर आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने तीनों राज्यों की सरकारों द्वारा जारी आदेश पर रोक लगाई थी।
शीर्ष अदालत ने अंतरिम आदेश को जारी रखा
शीर्ष अदालत में न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ समय के अभाव के कारण मामले की सुनवाई नहीं कर पाई लेकिन, अंतरिम आदेश को जारी रखा। आपको बता दें कि श्रावण के महीने में बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपनी कांवड़ में पवित्र गंगाजल लाते हैं और इससे शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। इस दौरान श्रद्धालु मांस से परहेज करते हैं और कई श्रद्धालु प्याज और लहसुन का भी सेवन नहीं करते। अदालत में एक पक्ष ने याचिका दायर करते हुए मामले की जल्द सुनवाई की मांग की थी। याचिका में कहा गया कि अभी कांवड़ यात्रा चल रही है और 19 अगस्त को इसका समापन हो जाएगा। इसके जवाब में शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि सुनवाई की तारीख तय की जाएगी। हालांकि, अदालत ने यह नहीं बताया कि मामले की सुनवाई किस दिन होगी।
22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, ‘हम विवादित निर्देशों पर रोक लगाने के लिए एक अंतरिम आदेश पारित कर रहे हैं। हालांकि, भोजनालयों के मालिकों को यह जानकारी देनी होगी कि वे कांवड़ियों के लिए किस तरह का भोजन परोस रहे हैं।’