कोयला घोटाला मामले में शीर्ष कोर्ट के न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने गौतम करमाकर की याचिका पर सुनवाई की है। साथ ही ईडी को नोटिस भी जारी किया है। शीर्ष कोर्ट ने यह कार्रवाई कोयला घोटाला मामले में सीबीआई द्वारा गवाह बनाए गए व्यक्ति की याचिका पर की है। याची गौतम कर्माकर ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उसके मौलिक अधिकार का उल्लंघन किया गया है।
याचिका में उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के उस फैसले का विरोध किया है जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में उसे आरोपी के रूप में नामित किया गया है। साथ ही याची गौतम कर्माकर ने दो संघीय जांच एजेंसियों की कार्रवाई को स्वाभाविक रूप से विरोधाभासी भी बताया है।
याचिका में ईडी की कार्रवाई पर सवाल उठाया गया है कि वह उन्हें एक आपराधिक अपराध में आरोपी कैसे बना सकती है जबकि अपराध के लिए उसे सीबीआई या अन्य एजेंसियों द्वारा किसी भी जांच का सामना नहीं करना पड़ रहा है।
कर्माकर ने याचिका में तर्क दिया है कि संविधान के अनुच्छेद 20 (3) के तहत यह प्रावधान है कि अपराध के आरोपी किसी भी व्यक्ति को अपने खिलाफ गवाह बनने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। ईडी के आरोपी बनाने से इस मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है क्योंकि ईडी उनके खिलाफ सीबीआई में दी गवाही का इस्तेमाल कर सकता है।
कर्माकर के वकील विजय अग्रवाल ने पीठ को बताया कि उनका मुवक्किल घटनाओं और लेनदेन की उसी शृंखला में सीबीआई का गवाह है, जिसके लिए उसे ईडी ने आरोपी बनाया है। संबंधित मामलों में दोनों एजेंसियों की अलग-अलग कार्रवाइयां स्वाभाविक रूप से विरोधाभासी हैं। उन्होंने कर्माकर के खिलाफ ईडी का मामला खारिज करने की मांग की है। पीठ ने दलीलें सुनने के बाद ईडी को नोटिस जारी किया और दो हफ्तों में जवाब मांगा है।