लेखकों, शिक्षाविदों और नागरिक समाज के प्रतिष्ठित लोगों के एक समूह ने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए एक खुला पत्र लिखा है। उन्होंने भारतीय संसद से सांप्रदायिक हिंसा की निंदा करते हुए सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित करने का आग्रह किया है।
इसमें कहा गया है कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा बढ़ने की वे बहुत चिंतित हैं। पत्र में लेखक अमीश त्रिपाठी, अश्विन सांघी, अभिषेक बनर्जी, राजीव मंत्री, स्मिता बरुआ और सुप्रीम कोर्ट के वकील जे.साई दीपक शामिल हैं।
पत्र में उन्होंने कहा, हाल के दिनों में हमने बेहद परेशान करने वाली घटनाएं देखी हैं, जिसमें मेहरपुर में इस्कॉन केंद्र को जलाना, देशभर में कई हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ और हिंदुओं की पीट-पीटकर हत्या जश्न मनाते हुए दंगाइयों को दिखाने वाले वीडियो का प्रसार शामिल है।
उन्होंने कहा, बांग्लादेश में हिंदू आबादी ने ऐतिहासिक रूप से उत्पीड़न की लहरों को बार-बार सहा है, जो राजनीतिक अस्थिरता के दौरान अक्सर तेज हो जाती हैं। 1971 के बाद से हिंदुओं के खिलाफ एक सतत और व्यवस्थित नरसंहार चल रहा है। खबरों से संकेत मिलता है कि 2013 से बांग्लादेश में हिंदुओं पर 3,600 से ज्यादा हमले हुए हैं।
पत्र में कहा गया है कि बांग्लादेश में मौजूदा घटनाक्रम ने स्थिति को और अस्थिर कर दिया है, जिसके चलते अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ गए हैं। इसमें लोगों से इस मामले को अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के ध्यान में लाने का आह्वान किया गया है। पत्र में कहा गया है, हम सम्मानपूर्व आग्रह करते हैं कि आप इस मामले को अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के ध्यान में लाने के लिए तत्काल दखल दें और उनसे सरकार के शीर्ष स्तर पर इस मुद्दे को हल करने का आग्रह करें।
“हम भारतीय संसद से बांग्लादेश में हिंदुओ के खिलाफ जारी हिंसा को मान्यता न देने और सांप्रदायिक हिंसा की इस लहर की निंदा करने के लिए सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित करने का आग्रह करते हैं।”
इसमें कहा गया है कि बांग्लादेशी अधिकारियों पर दबाव डालने के लिए संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय निकायों के साथ संपर्क करें, ताकि वे अपने हिंदू अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाएं और अपराधियों को जवाबदेह ठहराएं। बांग्लादेश में उत्पीड़न से भाग रहे हिंदुओं के लिए मानवीय मदद और शरण विकल्पों के प्रावधान की वकालत करें।