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Saturday, May 4, 2024

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‘विभाजन के बजाय एकता, सहयोग की जरूरत टकराव के बजाय,’ चीन के PM ने सदस्य देशों से क्या-क्या कहा

भारत की मेजबानी में G-20 का 18वां शिखर सम्मेलन शुरू हो चुका है। इस बीच, चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग ने शनिवार को इस वैश्विक संगठन के बीस सदस्यों के बीच एकता की जरूरत पर जोर दिया और आर्थिक वैश्वीकरण के लिए सहयोग, समावेश और दृढ़ समर्थन का आह्वान किया। सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के दूसरे नंबर के नेता ली इस समय नई दिल्ली में हैं। राष्ट्रपति शी जिनपिंग की जगह वह इस दो दिवसीय सम्मेलन में बीजिंग का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। 

शिखर सम्मेलन के पहले सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रभावशाली समूह को विभाजन के बजाय एकता, टकराव के बजाय सहयोग और बहिष्कार के बजाय समावेश की जरूरत है। G-20 के सदस्य देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 85 फीसदी, वैश्विक व्यापार का 75 फीसदी से अधिक और दुनिया की लगभग दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं।

चीन की सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ की खबर के मुताबिक, “प्रधानमंत्री ली ने G-20 के सदस्यों से आर्थिक वैश्वीकरण को बढ़ावा देने और संयुक्त रूप से औद्योगिक एवं आपूर्ति श्रृंखलाओं की स्थिरता एवं सहजता बनाए रखने का आग्रह किया।” उन्होंने कहा कि G-20 के सदस्यों को एकता और सहयोग की मूल आकांक्षा पर कायम रहना चाहिए और शांति एवं विकास की जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

ली ने G-20 के सदस्यों से आग्रह किया कि वे भरोसा जताने और विश्व आर्थिक विकास के लिए गति प्रदान करने के लिए समष्टिगत आर्थिक नीति (मैक्रो इकोनॉमिक पॉलिसी) समन्वय को प्रभावी ढंग से मजबूत करके वैश्विक आर्थिक सुधार को बढ़ावा देने में भागीदार के रूप में कार्य करें। उन्होंने कहा कि G-20 के सदस्यों को पृथ्वी के ग्रीन हाउस की रक्षा करने, ग्रीन और कम कार्बन विकास को बढ़ावा देने, समुद्री पारिस्थितिक पर्यावरण की रक्षा करने और वैश्विक सतत विकास को बढ़ावा देने में भागीदार बनने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।

G-20 समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं। भारत की G-20 अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल करते हुए अफ्रीकी संघ शनिवार को दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के समूह का नया स्थायी सदस्य बन गया।

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